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।। सुबह के छाँव में ।।
सुबह के छाँव में
उठ जाना
हटा गर्म रजाई को।
मेरी ये सलाह है-
अबकी बीती रात को
भूल जाना
कि तुम्हारा कोई इंतजार
करता है...देर रात तक।
जिससे तुम उठ जाओगे
सुबह के छाँव में।
भारी-भारी आँखों से
लिया गया मुँह से
लिया गया मुँह से
जम्हाई,
लाता कुछ बूंदें, आंसुओं के
तुम्हारी इन
अधूरी देखी हुई सपनों के
नयनों में।
कुछ ऐसा ही नज़ारा-
घासों से भी
फूट रही है...ओस की बूंदें
जैसे बादल के भी रह गये हो
कुछ सपनें अधूरे।
इस हड़बड़ाहट में
कि सूरज
वक़्त पे उठ जाते हैं
सुबह के छाँव में।
तुम्हें रोज़ सूरज का
अनुसरण करना होगा।
बादल का
हड़बड़ाहट नहीं लेना है।
जिससे
तुम रोज़ उठ जाओगे
सुबह के छाँव में।
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