।। हमारा अभिषेक ।।
आज दिल से निकले है सौगात मेरे यार के लिए,
दिल चाहता है जान लूटा दूँ इस दिलदार के लिए ।
कारण ना ढूँढ़ता हम सब से मिलने के लिए,
मन से जुड़े रहता हम सब के प्यार के लिए ।
एक समय हम उसे चिढ़ाते कान लाल के लिए,
गुस्सा ऐसे होता जैसे खून पीने के लिए ।
पोटता किसी को ऐसे जैसे पटाने के लिए,
छोड़ता जल्दी उसको, दूसरी जाल में फँसाने के
लिए ।