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Sunday 10 September 2017

हमारा अभिषेक (Hamara Abhishek) -ps

।। हमारा अभिषेक ।।

आज दिल से निकले है सौगात मेरे यार के लिए,
दिल चाहता है जान लूटा दूँ इस दिलदार के लिए ।
कारण ना ढूँढ़ता हम सब से मिलने के लिए,
मन से जुड़े रहता हम सब के प्यार के लिए ।

एक समय हम उसे चिढ़ाते कान लाल के लिए,
गुस्सा ऐसे होता जैसे खून पीने के लिए ।
पोटता किसी को ऐसे जैसे पटाने के लिए,
छोड़ता जल्दी उसको, दूसरी जाल में फँसाने के लिए ।



दिल साफ रखता एक सच्चा इंसान बनने के लिए,
कुछ कर गुजरने की चाह रखता,
 देश पर मर-मिट जाने के लिए ।
राह ना देखता मौका पाने के लिए,
मौका देता बार-बार खुद को संभल जाने के लिए ।

हजारों सपनें देखता बड़ा बनने के लिए,
हर संभव कोशिश करता, अपना सपना पूरा करने के लिए ।
एक सपना सच्च हुआ हम सब के लिए,
मिले ऐसे जैसे प्राणों (PRAANO) बनने के लिए
   मिले ऐसे जैसे प्राणों (PRAANO) बनने के लिए...
©ps



3 comments:

  1. Ekdum sahi describe kiya hai bhai ko

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    Replies
    1. Thankyou Bhai ! First two lines toh tumhara hi hai.

      Delete
  2. मैनें आपके ब्लाॅग को पढा...पूरी तो नही पर जितना मैने पढा, कुछ भिन्न लगा औरों से। एकदम नया। जिस तरह आप दूसरों के रचनाओं को अपने ब्लाॅग पर स्थान देते है...ये देख मुझे बेहद खुशी हुई।
    शुभकामना।

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