मत मत के मतदान से
मैदान में आया नया मेहमान
हाँ हाँ करके टोपीधारी
करा न्यायालय का पोथी भारी
नहीं नहीं मैं कानून हुआ
तोड़ मरोड़ कर पेश हुआ
नेताओं के साज़िश में
कर ना पाया कभी भला
भय भय में भयावह
हवा बही है चारो ओर
इसको तोड़ो इसको फोड़ो
आग लगी है चारो ओर
चल चला चल हल्लाबोल
कोई करे अगर रोक टोक
संविधान है खतरे में
ये तू ज़ोर-ज़ोर से बोल-बोल
-प्रकाश साह
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©prakashsah
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बहुत ही सुंदर रचना है आपकी,आपकी हर रचना कहीं न कहीं समाज मे व्यापीत कुरीतीयो को उजागर करती है।
ReplyDeleteसादर आभार आपका। ब्लाॅग पर आने के लिए धन्यवाद।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteSad truth 😐 but written beautifully ✍️
ReplyDeleteThankyou very much!
Deleteसुंदर लेखन
ReplyDeleteजी बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteअत्यंत आभार आपका श्वेता दी!
ReplyDeleteवाह !बेहतरीन सृजन
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद आपका।
DeleteVery good bro
ReplyDeleteThankyou Bro!
DeleteBahut khub👌
ReplyDeleteधन्यवाद!!
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद महाशय!
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद!
Deleteकुरीतीयो को उजागर करती
ReplyDeleteजी बिल्कुल! धन्यवाद।
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