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Thursday 1 June 2017

नन्हे बालक की अल्हड़ बातें - prakash sah

खूसूरत वादियों के गोद में
 एक बालक


खूबसूरत वादी (Beautiful Scenery) -ps www.prkshsah2011.blogspot.in
रात के अंधेरे में से
स्वप्न जिकर उठा एक बालक,
धिरे-धिरे छँटी ये रात की काली चादर,
उभरा  एक अनजाना-सा दृश्य,
अब ये सामने  कौन-सी विशाल चादर?
छँटने के बजाए बढ़ रही सवेर के अंजोर में,
चार पहर के अलावा,अब आया कौन-सा ये नया पहर?
खूबसूरत वादी (Beautiful Scenery) -ps Rajgir Tilaiya www.prkshsah2011.blogspot.in
बड़ी आँखों से कुछ क्षण तक यूँ ही देखा,
बनकर निकला
एक खूबसूरत वादियों में का पहाड़,
दाएँ जंगल, बाएँ जंगल, अडिग पहाड़ पे चढ़ता जंगल,
इन मनमोहक दृश्यों को समेटकर, बालक का मन हुआ चंचल।

फिर से एकटक, विशाल पहाड़ को बालक ने देखा,
मन में कुछ सवाल उभरा-
पहाड़ के उस पार क्या होगा?
कोई भूत होगा, या जंगल का राजा शेर होगा?
कोई बोला उस पार, झर-झर झरना का पानी गिरता,
कोई बोला उस पानी में नाव है चलता ।

बालक को और जानने की उत्सुकता जगी,
उसे उस पार जाने का हुआ मन।
वह ढूँढा जाने का हर उपाय
पर न मिला उसे कोई हल।
खूबसूरत वादी (Beautiful Scenery) -ps VCS hazaribag www.prkshsah2011.blogspot.in
अब दिखा वह मनमायुस-सा अभासीत बालक,
कुछ पल पहले था कितना चंचल,
छोड़ अब ये जिद, जितना था उसमे हुआ खुश,
स्नान घर के झरना से ही, मन को किया प्रसन्न।
राह-राह चलकर, घूर्णन करती आँखों से
खूबसूरत वादियों को मन में रहा बसा।
देखा- मिट्टी है लाल, शीतल हवा
शहर के हर कोने में बसा है रंग हरा।
खूबसूरत वादी (Beautiful Scenery) -ps Tilaiya Dam www.prkshsah2011.blogspot.in
कोमल मिट्टी पर चलने की थी आदत,
कंकड़ भरे राह पर अब पाँव पड़ा,
चूभन हुई पर दर्द न हुआ,
आह निकला पर चीख की हवा न निकली।

भूलकर अपनी ये सब दशा,
इन खूबसूरत वादियों को, बालक मन में रहा बसा,
लौट अपने घर को
बाँट रहा वो अपनी अद्वितीय अनुभवों का नशा।
©ps

खूबसूरत वादी (Beautiful Scenery) -ps Kanheri Cannary hazaribag www.prkshsah2011.blogspot.in



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