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Monday 10 December 2018

भय (Bhay) -prakash sah

मनुष्य या कोई भी अन्य जीव इस संसार के जीवनचक्र में जब प्रवेश करता है तो स्वतः उसमें भय का भाव रहता है....शिशु अवस्था में उसे अपनी माता से बिछड़ने का भय रहता है; जब जीवन के प्रत्येक आवश्यक पड़ाव पर असफलता प्राप्त होता है तब हमारे अंदर भय का आगमन होता है.....यह धीरे-धीरे हमारे जीवन के साथ बढ़ने लगता है और भय का विभिन्न कारण भी। अगर भय को नियंत्रित करने की कला सीख ले तो लक्ष्य प्राप्ति में हम सहजता महसूस करते हैं। इस कला को बालावस्था में नहीं सीखा जा सकता....इसे हम जीवन के अनुभवों से सीखते हैं।

Bhay (भय) - Unpredictable Angry boy www.prkshsah2011.blogspot.in


।। भय ।।


व्यय मत कर भय, काल फिर भर जाएगा
संशय मन का साया है, मृत देह संग जाएगा


असत्य का पूरक भय, जिह्वा का लड़खड़ाना लय
संकेत सूचक इशारा है, मन का घबराना तय


काला रंग को माने भय, अंतर्मन का परिचय अंधकारमय
स्मरण श्याम रंग कृष्ण का, प्रायः धर्मयुद्ध का सारथी हम में
©prakash sah

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Wednesday 14 November 2018

सुबह के छाँव में (Subah ke chhaon mein : How to wake up early morning) -ps

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subah ke chhav mein - prkshsah2011.blogspot.in


।। सुबह के छाँव में ।।


सुबह के छाँव में

उठ जाना

हटा गर्म रजाई को।

मेरी ये सलाह है-

अबकी बीती रात को

भूल जाना

कि तुम्हारा कोई इंतजार

करता है...देर रात तक।

जिससे तुम उठ जाओगे

सुबह के छाँव में।

...

भारी-भारी आँखों से

लिया गया मुँह से

जम्हाई,

लाता कुछ बूंदें, आंसुओं के

तुम्हारी इन

अधूरी देखी हुई सपनों के

नयनों में।

कुछ ऐसा ही नज़ारा-

घासों से भी

फूट रही है...ओस की बूंदें

जैसे बादल के भी रह गये हो

कुछ सपनें अधूरे।

इस हड़बड़ाहट में

कि सूरज

वक़्त पे उठ जाते हैं

सुबह के छाँव में।

...

तुम्हें रोज़ सूरज का

अनुसरण करना होगा।

बादल का

हड़बड़ाहट नहीं लेना है।

जिससे

तुम रोज़ उठ जाओगे

सुबह के छाँव में।



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Thursday 1 November 2018

तुम्हारी याद में (Tumhari Yaad Mein) -ps

तुम्हारी याद में (Tumhari Yaad Mein) -ps prkshsah2011.blogspot.in


।। तुम्हारी याद में ।।


तुम्हारी याद में

रात-रात बीत गयी

कि तुम गये कहीं नहीं

मुझे छोड़कर...

..कैसे लूँ जगह, तुम्हारी मैं -

राह-राह चलते तुम

आँखों में अचानक

आ जाते हो

क्षण-में-क्षण-में सामने आ,

....ओझल हो जाते हो....

..........................................

चेहरे के किसी कोने में

दर्द की कुछ सिकन

दिख जाएगी...

कण-कण में तुम,

तन-मन में तुम।

जिस
 ओर देखूँ मैं,

हर ओर नजर

आते हो तुम

©PS

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Tuesday 16 October 2018

हर कोई मौन का नाटक नहीं करता (Har koi Maun ka natak nahi karta) - ps


बस...! इतना कहूँगा बेवक़्त था तुम्हारा मौन होना.., फिर भी तुम्हें सुन लेता हूँ - हर वक़्त। मैं अधिक नहीं कहूँगा जिससे की कि मेरी कुछ अनकही बातें इंधन बनके दीपक को प्रज्वलित करते रहे....लम्बे अरसे तक।

हर कोई मौन का नाटक नहीं करता (Maun) - ps prkshsah2011.blogspot.in


।। हर कोई मौन का नाटक नहीं करता ।।


कोई फूलों से पूछे, उसका हाल कौन लेने है आता

कोई बारिश से पूछे, उसमें कौन-कौन है भीगता

दर पर आया हर फकीर, ढ़ोंगी नही होता

हर कोई मौन का नाटक नही करता


-~-

बालों से रिसते पानी के बूंदें, इतने जिद्दी क्यों होते

आकाश में लटके तारें, इतने दूर क्यों होते

कोई अजनबी, पराया से अपना बन जाता

हर कोई मौन का नाटक नही करता

-~-

पलकों के नयनों में, सपनें कौन भर जाता

सीपों के मुँह में, मोती कौन रख जाता

अपनो से मुँह मोड़, कैसे कोई हमें छोड़ जाता

हर कोई मौन का नाटक नही करता

©PS

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Tuesday 27 March 2018

चिपको आंदोलन (Chipko Movement) -ps

...

प्रेम का जंगल बोया था हमने,
सबने  अपने जरूरतों के हिसाब से...
...इसका  इस्तमाल किया ।

इन्होने....
इसके,
बुरे हालातों में......एक आँसू न बहाया

शायद कहीं...
उन आंसूओं से
कोई प्रेम के बिजें......
.............. उग आतें ...............
...
तो हमे...
प्रेम के जंगल को
कसके लिपटकर
खड़ा ना होना पड़ता..,
फिर से
"चिपको आंदोलन" की शुरूआत को
सोचना न पड़ता ।
©PS