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Monday, 1 March 2021

अशुद्ध मन - prakash sah

 

अशुद्ध मन में पूजा तेरी,

लक्ष्य काे भेदा नहीं।

"अशुद्ध हुआ तेरा मन"

तुमने इसे जाना कैसे?

'शुद्धता' क्या अभी शेष है!

या, फिर यह भी तुम्हारा

काेई नया भेष है!

क्याेंकि बेवज़ह कुछ भी हाेता नहीं...

-Prakash Sah


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🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏