अशुद्ध मन में पूजा तेरी,
लक्ष्य काे भेदा नहीं।
"अशुद्ध हुआ तेरा मन"
तुमने इसे जाना कैसे?
'शुद्धता' क्या अभी शेष है!
या, फिर यह भी तुम्हारा
काेई नया भेष है!
क्याेंकि बेवज़ह कुछ भी हाेता नहीं...
-Prakash Sah
आप सभी का इस ब्लॉग पर स्वागत है। इस ब्लॉग का उद्देश्य आप में क्रोध उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि सभी प्रकार के क्रोधों का कारण जानना और उसे एक सही दिशा देना ही मुख्य उद्देश्य है। आप मेरे लिखे रचनाओं के शब्दों के माध्यम से इस ब्लॉग की सार्थक परिभाषा जान सकते हैं।
अशुद्ध मन में पूजा तेरी,
लक्ष्य काे भेदा नहीं।
"अशुद्ध हुआ तेरा मन"
तुमने इसे जाना कैसे?
'शुद्धता' क्या अभी शेष है!
या, फिर यह भी तुम्हारा
काेई नया भेष है!
क्याेंकि बेवज़ह कुछ भी हाेता नहीं...
-Prakash Sah