।। देर रात अंधियारे में ।।
Nightingale |
तु क्यूँ चहकती रात के अंधियारे में,
क्यूँ तेरे पेट का मिलाप नही हुआ स्वादिष्ट आहारों से !
तुझे नही दीखता अब मैं सो गया, गहरी निंदों में,
तु पहले क्यूँ नही आयी, जा अब मै ना निकलूँ, इस गर्म रजाई से ।
मेरी एक लालसा तु समय पर आया कर, जिससे डूब जाऊँ तेरी स्वरगूँजन में ।
तु बार-बार क्यूँ भूल जाती, मै आलसी हूँ लड़कपन से ।
तेरी ये चहचहाहट सुनने के लिए ही जगता, देर तक इस अंधियारे में,