PC : @prakashsah |
किसी ने सोचा कि
मुझ जंगल को लूट लेने से
मैं खाली हो जाऊँगा।
हाँ, खाली हो जाऊँगा कई निराशाओं से।
शायद क़ाबिल नहीं रहा
उन्हें छाँव देने में।
शायद क़ाबिल नहीं रहा
उन्हें जीवन ऊर्जा देने में।
-प्रकाश साह
15062024
मेरी कुछ अन्य नयी रचनाएँ....