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Sunday 4 August 2019

तय कोई सफर नहीं (Tay Koi Safar Nahi) - Prakash Sah

जीवन में उतार चढ़ाव लगा रहता है...यह सत्य ही है। परिस्थितियाँ एकसमान कभी नहीं रहती है और कभी रह भी नहीं सकती है....हमें ऐसा कभी सोचना भी नहीं चाहिए। 
मुझे लगता है एक बात पर और ध्यान देना चाहिए  कि हमसब के अंदर एक ‘हनुमान’ जरूर रहतें हैं बस हमें ‘जाम्बवंत’ जैसे किसी स्मरणकर्ता की जरूरत होती है जो आपकी शक्ति को पुनर्स्मरण कराए। क्योंकि अनिच्छित परिस्थितियों के कारण हम शायद स्वयं को भूल जाते हैं। 

चलिए अब बढ़ते है रचना की ओर जो इसी विषय को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं...

Please...must watch the video is given below at the end of this post.
( मैं पहली बार  अपनी किसी रचना को अपने आवाज में रिकार्ड कर के यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। विडियो  लिखित रचना के नीचे दिया गया है.....जरूर देखें और आपसब अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाएँ भी दें )


तय कोई सफर नहीं (Tay Koi Safar Nahi) - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY www.prkshsah2011.blogspot.in


।। तय कोई सफर नहीं ।।



तय कोई सफर नहीं

अगर भय कहे-

मैं तुममें हूँ

तो निश्चय है

उसका कोई घर नहीं।


तय कोई सफर नहीं...



तू देख अपने अगल-बगल

कतारबद्ध लोगों का

भीड़ चल रहा

तू वहाँ एक अकेला खड़ा है

भय से कोई मुक्त नहीं


तय कोई सफर नहीं...



केवल सुख की अगर मांग है

भय की ट्रेन लगी है तेरी

तुझे छोड़नी है, या पकड़नी है

तय तुझे करना है

सफर तुझे करना है

तय कोई सफर नहीं


तय कोई सफर नहीं...

                -  ©ps प्रकाश साह



विडियो को जरूर देखें...👇👇👇

मैं पहली बार  अपनी किसी रचना को अपने आवाज में रिकार्ड कर के यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। नीचे दिए गए विडियो को जरूर देखें और आपसब अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाएँ भी दें। धन्यवाद!
watch the video (use Earphone)...👇👇👇




***
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10 comments:

  1. Your words just realised me the reality even I'm one of them....it's awesome.. L u bro

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  2. Bhot badhiya h ♥️... Isi tarah se sare kavitaye daala kro bhot accha lgega sb ko sun kr.... Keep Writing...Keep reciting ❣️

    ReplyDelete
  3. Prkash Bro aap itna mast kabi ho
    Nice bro ase hi likhte rhna or link bhejna your brother Ritik sah😘😘😍😍

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    Replies
    1. Wah Bhai...Thankyou. Tumhara vichar jaankar bahot acha laga.

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  4. साफत तो किसी का कभी तय नहीं होता ...
    समय और नियति ही तय करती है ये सब ... विचारणीय भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद महाशय

      Delete
  5. अगर भय कहे-
    मैं तुममें हूँ
    तो निश्चय है
    उसका कोई घर नहीं।
    तय कोई सफर नहीं...
    सही कहा भय का कोई घर नहीं निर्भय होकर अपनी मंजिल के सफर तय करना ही बेहतर है
    बहुत सुन्दर रचना...

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    Replies
    1. धन्यवाद सुधा जी!!

      Delete