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Wednesday 30 August 2017

कम-से-कम मार्गदर्शक तो बना (Kam-se-Kam Maargdarshak to Bana) -ps

।। कम-से-कम मार्गदर्शक तो बना ।।

कम-से-कम मार्गदर्शक तो बना (maargdarshak) -ps prkshsah2011.blogspot.in

रात बित जाए कि दिन बित जाए,
फर्क ना पड़े कौन क्या कहे कि हम क्या रह गएं।
तु  भी तो कभी वही था, जो हम आज हैं,
‘राज’ राज रह गया जब हम दोनो चाह गएं।

किस ओर मैं बढ़ गया राह का न पता चला,
तुझे उस ओर देखा तो राह बदल डाला।
इतना तो पता चला जिस राह पे तु लगातार बढ़ा,
उस राह से मुझे मेरी मंजिल कभी सही ना मिला।

तु गलत था या सही था,
इसमें अब मैं समय बर्बाद नही करता।
तु मेरे जीवन का आदर्श नहीं तो
कम-से-कम मार्गदर्शक तो बना। 
©ps

Friday 18 August 2017

दो चेहरें (TWO FACES) -ps

।। दो चेहरें ।।

जिंदगी की एक पहेली है
चेहरा ही जीवन की एक सहेली है ।
क्यूँ घूमते फिरते सब दो चेहरें में ?
अब बस यही एक नई मुश्किल पहेली है।

वास्तव मे होतें एक ही इंसान हैं,
बात करतें वही हैं,
पर दिखतें ‘दो राही’ हैं,
शायद इसी को कहते ‘दो चेहरें’ हैं।

चेहरे के बिना आईना का क्या हो !
आईना के बिना खूबसूरत चेहरों का क्या हो !
इन्ही चेहरों पर सभी का ‘चेहरा पे चेहरा’ है,
एक चेहरा पर किसी का ना दिल ठहरा है।

दो चेहरों की होती है उपयोगीता –
एक दिखाती है अगर उदासीनता,
तो दूसरी दिखाती है प्रसन्नता।

एक को सजाते-सँवारते है कोई अपनो के खातिर,
तो दूसरी को सजाते-बिगाड़ते है
अपने तरिके से जीने के खातिर ।

माना...अगर एक पे होता है क्रोध,
तो दूसरी पे आती है मोह ।
कुछ-कुछ समझ कर आता है होश,
फिर हम, एक दूसरे पे दिखाते है रोष ।
यही है मेरे दोस्त, दो चेहरों का दोष ।

समझ तो पूरी है...
पहेली का हल अब भी कुछ अधुरी है ।
क्यों सबको एक चेहरा में रहने से दूरी है ?
अब एक ही समझदारी है,
दूसरो को दे दूँ इस पहली को
इसमें ही शायद मेरी बहादुरी है
इसमें ही शायद मेरी बहादुरी है...
©ps

Thursday 17 August 2017

किस कदम पे तुम चली हो (Kis Kadam Pe Tum Chali Ho) -ps

।। किस कदम पे तुम चली हो ।।

किस कदम पे तुम चली हो
देखें तो हम ज़रा
रात बित गई कि तुम कहाँ रूकी हो
देखें तो हम ज़रा
साथ छूट गया कि अब भी कुछ बचा है
देखें तो हम ज़रा
आसपास की मुश्किलें, घट रही या बढ़ रही है
देखें तो हम ज़रा
मन के मन के तारों में यादों की धमनियाँ
कि चल रही है या नही
देखें तो हम ज़रा
देखें तो हम ज़रा
देखें तो हम ज़रा
कि...
किस कदम पे तुम चली हो
किस कदम पे तुम चली हो
किस कदम पे तुम चली हो
देखें तो हम ज़रा
©ps

Tuesday 15 August 2017

आज़ादी (Independence ) -ps

।। आज़ादी ।।

है आज़ादी ! है आज़ादी ! है आज़ादी !
कह दो ना
है आज़ादी ! है आज़ादी ! है आज़ादी !
जब सोच में कोई बंदिशे
तो कह दो क्या
है आज़ादी ? है आज़ादी ? है आज़ादी ?
जब हमसे कोई दूर हो तो क्या
है आज़ादी ? है आज़ादी ? है आज़ादी ?
जब मन में ना कोई गिले शिकवे हो तो
है आज़ादी ! है आज़ादी ! है आज़ादी !
साथ-साथ चलके आगे बढ़ना है तो
है आज़ादी ! है आज़ादी ! है आज़ादी !
देश में रहना है तो कहना है
वंदे मातरम् ! वंदे मातरम् ! वंदे मातरम् !
हाँ ! है यही, है यही, है यही
आज़ादी ! आज़ादी ! आज़ादी !
तो कह दो ना
है आज़ादी ! है आज़ादी ! है आज़ादी !
©ps


Sunday 6 August 2017

मन करने को नशा (Mann Karne Ko Nasha : Alcoholic) -ps

 मन करने को नशा 
 मत करना ऐसा 


मन करने को नशा
मत करना ऐसा
लग जाएगा तुझको
इसका, चश्का, चश्का...
मन करने को नशा

मन करने को नशा
जब ना हो पैसा
कुछ ना करना वैसा
बज जाएगा तेरा
घण्टा, घण्टा...
मन करने को नशा

मन करने को नशा
मत लेना इसका
मजा, मजा...
रुदबा है ये ऐसा
जिसको देखो उसको
लेता रहता
वोडका, वोडका...
मन करने को नशा
मन करने को नशा
मन करने को नशा
मत करना ऐसा
©ps