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Thursday 17 August 2017

किस कदम पे तुम चली हो (Kis Kadam Pe Tum Chali Ho) -ps

।। किस कदम पे तुम चली हो ।।

किस कदम पे तुम चली हो
देखें तो हम ज़रा
रात बित गई कि तुम कहाँ रूकी हो
देखें तो हम ज़रा
साथ छूट गया कि अब भी कुछ बचा है
देखें तो हम ज़रा
आसपास की मुश्किलें, घट रही या बढ़ रही है
देखें तो हम ज़रा
मन के मन के तारों में यादों की धमनियाँ
कि चल रही है या नही
देखें तो हम ज़रा
देखें तो हम ज़रा
देखें तो हम ज़रा
कि...
किस कदम पे तुम चली हो
किस कदम पे तुम चली हो
किस कदम पे तुम चली हो
देखें तो हम ज़रा
©ps

2 comments:

  1. यह तस्वीर जो आपने लगायी है, मुझे बड़ी प्यारी है....असीम.. एहसास में भींगी है आपकी कविता.....लास्ट की चार लाईन्स जबरदस्त है....!

    आज मैं आपके ब्लॉग पर आया और ब्लोगिंग के माध्यम से आपको पढने का अवसर मिला 
    ख़ुशी हुई.

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी।
    मुझे भी बेहद खुशी हुई आपकी सारी प्रतिक्रियाएँ पढकर।
    मैं आपसे टेकनिकली भी जुड़ गया हूँ, हम संपर्क मे

    ReplyDelete