।। किस कदम पे तुम चली हो ।।
किस कदम पे तुम चली हो
देखें तो हम
ज़रा
रात बित गई कि
तुम कहाँ रूकी हो
देखें तो हम
ज़रा
साथ छूट गया कि
अब भी कुछ बचा है
देखें तो हम
ज़रा
आसपास की मुश्किलें, घट रही या बढ़
रही है
देखें तो हम
ज़रा
मन के मन के
तारों में यादों की धमनियाँ
कि चल रही है
या नही
देखें तो हम
ज़रा
देखें तो हम
ज़रा
देखें तो हम
ज़रा
कि...
किस कदम पे तुम चली हो
किस कदम पे तुम
चली हो
किस कदम पे तुम
चली हो
देखें तो हम ज़रा
©ps
यह तस्वीर जो आपने लगायी है, मुझे बड़ी प्यारी है....असीम.. एहसास में भींगी है आपकी कविता.....लास्ट की चार लाईन्स जबरदस्त है....!
ReplyDeleteआज मैं आपके ब्लॉग पर आया और ब्लोगिंग के माध्यम से आपको पढने का अवसर मिला
ख़ुशी हुई.
बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी।
ReplyDeleteमुझे भी बेहद खुशी हुई आपकी सारी प्रतिक्रियाएँ पढकर।
मैं आपसे टेकनिकली भी जुड़ गया हूँ, हम संपर्क मे