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Sunday 11 August 2024

जंगल | PRAKASH SAH

 

PC : @prakashsah

किसी ने सोचा कि

मुझ जंगल को लूट लेने से

मैं खाली हो जाऊँगा।

हाँ, खाली हो जाऊँगा कई निराशाओं से।


शायद क़ाबिल नहीं रहा

उन्हें छाँव देने में।

शायद क़ाबिल नहीं रहा

उन्हें जीवन ऊर्जा देने में।

-प्रकाश साह
15062024




🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

12 comments:

  1. जंगल खाली करने वालों को शायद अंदाज़ा नहीं वो ख़ुद को ख़ाली कर रहे।
    गहन वैचारिकी अभिव्यक्ति।
    सस्नेह ।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १३ अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद एवं आभार।

      Delete
  2. बहुत ही सुन्दर सार्थक और भावप्रवण रचना

    ReplyDelete
  3. जी प्रिय प्रकाश! कभी कभी खाली होना नये रास्ते खोल देता है👌👌

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  4. वाह! सुन्दर सृजन।

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    Replies
    1. सादर प्रणाम एवं धन्यवाद।

      Delete