पुरानी डायरी से :
अब पसंद किसी को ना आता हूँ ।
माली से भी ना कभी ख्याल किया गया
जल ही जीवन है, पर मन ही मेन्टल है
ना दूसरों को समझने देता हूँ
ना ही खुद समझता हूँ ?
समझ कर भी अनजान बन जाता हूँ
अब मैं पसंद किसी को ना आता हूँ
अब मैं पसंद किसी को ना आता हूँ...
।। रेगीस्तान का पौधा ।।
पहले मै फूलों के बगीचे का फूल था,
शायद अब मैं उस बगीचे का काँटा हूँ,
अब पसंद किसी को ना आता हूँ ।
माली से भी ना कभी ख्याल किया गया
जल ही जीवन है, पर मन ही मेन्टल है
ना दूसरों को समझने देता हूँ
ना ही खुद समझता हूँ ?
समझ कर भी अनजान बन जाता हूँ
अब मैं पसंद किसी को ना आता हूँ
अब मैं पसंद किसी को ना आता हूँ...
©ps
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