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Saturday 3 June 2017

रेगिस्तान का पौधा (Registaan ka Paudha) -ps

पुरानी डायरी से :


।। रेगीस्तान का पौधा ।।

पहले मै फूलों के बगीचे का फूल था,

शायद अब मैं उस बगीचे का काँटा हूँ,

अब पसंद किसी को ना आता हूँ ।

माली से भी ना कभी ख्याल किया गया

कब मैं ‘रेगिस्तान का पौधा’ बन गया ।

जल ही जीवन है, पर मन ही मेन्टल है

ना दूसरों को समझने देता हूँ

ना ही खुद समझता हूँ ?

समझ कर भी अनजान बन जाता हूँ

अब मैं पसंद किसी को ना आता हूँ
  
  अब मैं पसंद किसी को ना आता हूँ...
©ps




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