।। ढूँढ़ो जीवन प्यार
का ।।
ढूँढ़ो जीवन प्यार का,
हवा, पानी, धूप सूत्रधार इस जीवन का
।
जितना चाहो उतना ले लो,
हर सुख मिलेगा इस संसार का ।
राह का इकरार करो
अनजाना-सा सफर का,
अंत नहीं अभी शुरूआत है,
मिलेगी मनचाही मंजिलें,
बस इंतजार है आत्मसात का ।
बढ़ते राह में भूल हुई,
अब क्या होगा उस कार्य का,
जिसके लिए मैनें दिन-रात लगाई ?
फिर से तुम आगे बढ़ो, बढ़ना तुम्हारा
काम है,
सदैव उस भूल के याद में रहना नहीं,
वो कार्य है आत्ममंथन का ।
कारण है बस इतना –
“अंत का कोई छोर नहीं,
शुरूआत का कोई भोर नहीं"
जिंदगी नाम है उस सफ़र का,
जिस सफ़र के लिए तुम जिन्दा हो ।
तुम परिन्दा हो परिन्दा !
अपने सपनों के पंख फैलाया करो,
फिर देखो आसमां को कैसे छूते हो,
फिर देखो आसमां को कैसे छूते हो,
फिर देखो आसमां को कैसे छूते हो...
©ps
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