।। जश्न इस बार नई होगी ।।
**(4)**
दुआ दे दूँ, दुआ माँग लूँ
हाथ जोड़ कर सिर झुका लूँ...
खुद को मैं बड़ा बना लूँ,
खुद को मैं छोटा बना लूँ
जिससे ना कोई मायने बनेंगे,
जिससे ना कोई दायरें बनेंगे।
सबका सम्मान बराबर, सबका हो मान बराबर
तब बढेंगे, तन बढेंगे, मन बढेंगे,
जहाँ को हम जन्म लिए, वहीं से जुड़े सदैव रहेंगे।
हाँ...शीघ्रता में देर होगी,
हाँ...शीघ्रता में देर होगी,
सर्द की रूग्ण भोर होगी,
स्वर की अमर गूंज वही होगी,
इस नव वर्ष की पहली किरण के संग
नए लोग मिलेंगे पर रश्म नई होगी।
साल भी वही है, सरहदें भी वही है
पर जश्न इस बार नई होगी
पर जश्न इस बार नई होगी...
पर जश्न इस बार नई होगी...
पर जश्न इस बार नई होगी...
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🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏
©prakashsah
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