🌳👫 प्रकृति का इंसान 👫🌳
संस्कृतियाँ, परंपराएँ, आदर-सम्मान
इन सब में समा जाते हैं इंसान।
परिस्थितियाँ, परेशानियाँ, दुख-दर्द
इन भावनाओं को कभी ज़ाहिर नहीं करते हैं मर्द।
क्या चाहते हैं इंसान, क्या चाहते हैं ये मर्द?
कब मिलेगा जीने को बस दो घूँट का पल?
इन्हीं सवालों में, पारिवारिक जीवन में
फँस जाते हैं हम इंसान ।
ब्रह्मचर्य जीवन जीने का ईमान
जल्दी कोई ना चाहता है इंसान ।
क्या होगा इस संसार का?
ना जाने कब समझेगा समाज?
दूसरों को मदद करके ही, इंसान बनते हैं महान
इंसान बनते हैं महान, इंसान बनते हैं महान...