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Friday, 6 January 2017

मन में सम्मान की लौ जला कर चले हैं ( Mann mein samman ki lau jala kar chale hain) -PS

I'm very hurt to see & hear the terrifying news how some youths of our generation misbehaved and did evil deeds with girls & women of Bengaluru and Delhi on the day of New Year and on the further day.
This is very hell like situation and it is not to be tolerated.

।। मन में सम्मान की लौ जला कर चले हैं ।।

सड़कों पर चलते दरिंदों का अंबार है,
कूड़ा हैं, करकट हैं, गंदे नालियों के खून हैं।
जब जि चाहा खोला, जब जि चाहा बंद किया,
जैसे महिलाओं को समझते संदूक की दराज हैं।
सोच का अभाव है, नज़र में ना शर्म - न हया है।
आधुनिकता के नाम पर तर्क रखने वालों
तेरी छोटी बुद्धि का तर्क ‘कुतर्क’ है।
तू अपनी हरकतें संभाल ले 
या फिर अपनी बरकतें गँवा दे।
तेरी पीढ़ी के साथ हम भी उगे हैं...
हम चौक-चौराहों पे मोमबत्ती नहीं,
मन में सम्मान की लौ जला कर चले हैं।