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Friday, 8 November 2019

कल्पतरू - prakash sah


कल्पतरू (KALPTARU) - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY - www.prkshsah2011.blogspot.in


‘मेरा जन्म हुआ है’
इसका आभास हुआ जब...
एक स्वप्न देखा मैंने
सुखी गृहस्थ बसाने का।


रोजमर्रा का साक्ष्य
वही बदरंग कंक्रीट दृश्य
जहाँ घर ‘कल्पतरू’ के
छाँव में ना था
वहाँ खुशहाली कैसी आएगी?
जब दुःख के घड़ी में
इसे हरने वाली
हरियाली ना होगी।

निश्चल मन,
शुद्ध विचार,
प्रेम भाव,
या जग से परे कुछ कल्पित भाव
की इच्छा पूर्ती करने वाला
एक वृक्ष ही है
एक ‘कल्पतरू’ ही है।

                 जन्म, प्रकृति के लिए हुआ है
और प्रकृति से ही मेरा अस्तित्व है।
हरा रंग हरियाली का
सुखी गृहस्थ का मंत्र है।

‘मेरा जन्म हुआ है’
इसका आभास हुआ जब...
एक स्वप्न देखा मैंने
सुखी गृहस्थ बसाने का।
           ©prakashsah


***


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UNPREDICTABLE ANGRY BOY
PRKSHSAH2011.BLOGSPOT.IN
P.C. : GOOGLE

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 08 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार एवं बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

      Delete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०९ -११ -२०१९ ) को "आज सुखद संयोग" (चर्चा अंक-३५१४) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार एवं बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

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  3. कल्पतरु हैं प्रकृति.. इनसे प्रेम करो वृक्ष ही जीवन है ।
    सारगर्भित सृजन भाई सुंदर संदेश।

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद, दी!
      सच्च कहूँ मन बहुत प्रसन्न हुआ....आप मेरे ब्लॉग पर आयीं और मेरे शब्दों का भी समर्थन किया आपने। आपका हृदय से आभार, दी!

      Delete
  4. जन्म, प्रकृति के लिए हुआ है
    और प्रकृति से ही मेरा अस्तित्व है। बेहतरीन रचना प्रकाश जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete
  5. सार्थक रचना, मन का आहत कोना फ़रियाद करता है ।
    सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बिल्कुल। धन्यवाद!

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  6. प्रेम का भाव हमेशा रहना ही जीवन है ... उम्र जरूर निश्चित है पर प्रेम अजर अमर है कल्प है ... सुन्दर भाव रचना के ...

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    Replies
    1. जी बिल्कुल। धन्यवाद!

      Delete
  7. कई दिनों बाद आना हुआ आपके ब्लॉग पर... पोस्ट पढ़ी तो शानदार लगी लफ़्ज़ों में गहरे अहसास .....बहुत ही खूबसूरत.....

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    Replies
    1. जी बहुत-बहुत आभार आपका। यूं ही आप मेरे ब्लॉग पर आते रहें...मुझे बहुत अच्छा लगेगा। धन्यवाद।

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