सरकारी दफ्तर में एक साधारण व्यक्ति और अधिकारी के बीच का संवाद एवं सरकारी दफ्तरों के
दृश्य जहाँ आप इस नए भारत में महात्मा गाँधी और उनके विचारों को नए रूप में पाएँगे।
क्या आप हमारे नए 'गाँधी' को जानते हैं?
शायद इस सवाल का जवाब आप मेरे इस रचना में ढूँढ लें...
क्या आप हमारे नए 'गाँधी' को जानते हैं?
शायद इस सवाल का जवाब आप मेरे इस रचना में ढूँढ लें...
पहचान कौन ?
नष्ट-भ्रष्ट ईमान से,
सुस्ती इनकी पहचान है।
मीठे इनके बोल सुनो,
कार्य इनके अधूरे हैं।
इनके गोल-गोल बातों में घूमो
इन्हें ‘गाँधी’ की खोज है।
अगर आप इस खोज में
सहायता का हाथ बढ़ाओ,
फिर आप इनकी तत्परता देखो,
कार्यकुशलता इनकी देखो,
झटपट आपके सारे काम हुयें,
चिंतामुक्त अब आप हुयें।
अरे, क्या हुआ!!!
बस.....आपके थोड़े ‘गाँधी’ ही तो गए हैं,
कोई बात नहीं......फिर आ जाएँगे।
आप भी कुछ ‘गाँधी’ दूसरों से ले लीजिए,
यही तो ‘नये भारत’ का ‘न्यू इकोसिस्टम’
है।
-prakash sah (©ps)
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