‘मेरा जन्म हुआ
है’
इसका आभास हुआ
जब...
एक स्वप्न देखा
मैंने
सुखी गृहस्थ
बसाने का।
रोजमर्रा का साक्ष्य
वही बदरंग कंक्रीट दृश्य
जहाँ घर ‘कल्पतरू’ के
छाँव में ना था
वहाँ खुशहाली कैसी आएगी?
जब दुःख के घड़ी में
इसे हरने वाली
हरियाली ना होगी।
निश्चल मन,
शुद्ध विचार,
प्रेम भाव,
या जग से परे कुछ कल्पित भाव
की इच्छा पूर्ती करने वाला
एक वृक्ष ही है
एक ‘कल्पतरू’ ही है।
जन्म,
प्रकृति के लिए हुआ है
और प्रकृति से ही मेरा अस्तित्व है।
हरा रंग हरियाली का
सुखी गृहस्थ का मंत्र है।
‘मेरा जन्म हुआ
है’
इसका आभास हुआ
जब...
एक स्वप्न देखा
मैंने
सुखी गृहस्थ
बसाने का।
©prakashsah
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