मैं आप सभी को बता दूँ इस रचना के आरंभ की चार पंक्तियाँ POOJA PANDEY JI द्वारा लिखी हुई है। मैंने जब इन चार पंक्तियों को पढ़ा तो स्तब्ध रह गया। मैं भी खुद को रोक ना पाया और इसके बाद की चार पंक्तियां मैंने लिख कर Pooja Ji को भेजा। उन्होंने मेरी पंक्तियों की सराहना की।
Pooja Pandey जी की लिखी वो चार पंक्तियाँ...
"......
बुरा नहीं हूँ मैं
मेरी भी कुछ कहानी है
टूट चुका हूँ मैं
अपनों की मेहरबानी है
........"
फिर मैंने उनको सलाह दिया कि आप इसके आगे और लिखिए क्योंकि आपने आरंभ बहुत अच्छा किया है........और साथ में मैंने यह भी कहा कि शुरू की पंक्तियां अगर मेरी होती तो फिर मैं इसके आगे की कुछ और पंक्तियाँ भी जरूर लिखता।
ज़वाब में उन्होंने मुझे कहा कि "आप लिखिए...मुझे कोई परेशानी नहीं होगी अगर आप लिखोगे तो।" अब उन्होंने मुझे #इजाजत दे दी।
मैंने इन शुरू के चार पंक्तियाों को थोड़ा अपना मानकर लिखना शुरू कर दिया। यह POOJA ji की ही मेहरबानी है जो मैं नीचे लिखे हुये पंक्तियों को लिखने में सफल रहा।
उनका बहुत-बहुत धन्यवाद, जो उन्होंने मुझे अपनी पंक्तियों से लिखने की #प्रेरणा दीं। बहुत-बहुत आभार।
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मैंने उनसे एक और इज़ाज़त माँगी कि आप मुझे इसे मेरे BLOG पर छापने की इज़ाज़त दीजिए। उन्हाेंने मुझे बहुत ही सहजता से इसकी इज़ाज़त दे दीं। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि यह रचना आपने रचा है और इतनी बेहतरीन रचना के लिए आप ही सराहना के हकदार हैं।......पर मेरा मानना है कि वो भी बराबर की सराहना की हकदार हैं।
तो आज उनकी इज़ाज़त से मैं आपसब को पूरी रचना पढ़ने का अवसर दे रहा हूँ। चलिए अब पढ़ते है इस रचना को....
...
बुरा नहीं हूँ मैं
मेरी भी कुछ कहानी है
टूट चुका हूँ मैं
अपनों की मेहरबानी है
रोया नहीं हूँ मैं
मेरी कुछ यादें पुरानी है
भूल चुका हूँ मैं
बस वो रिश्तें गँवानी है
झूका नहीं हूँ मैं
मेरी भी कुछ मज़बूरी है
भटक चुका हूँ मैं
ये ज़िंदगी भी ज़रूरी है
अंजाना नहीं हूँ मैं
मेरी कुछ बातें संजीवनी है
आज़मा चुका हूँ मैं
उन में क्या-क्या बिमारी है
-प्रकाश साह | पूजा पाण्डेय
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