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Sunday, 25 August 2024

लावारिस | PRAKASH SAH


PC : Google


सवालों के घेरे में
हम इंसानों का एक कृत है...

शय्या पे मृत पड़े
इंसानों को
कंधा देने के लिए
लोग कतारबद्ध खड़े मिल जाते हैं।
लेकिन 
सड़क पे कुचले गये
जानवरों को
लावारिस की तरह छोड़कर 
गाड़ियों के चक्के से बार-बार रौंदते हुए
उनके खाक हो जाने तक
हम इस तरह
उनका अंतिम संस्कार क्यूँ करते हैं?

तब
हमारी सारी संवेदनाएँ
कहाँ चली जाती है?
क्या ये संवेदनाएँ
सिर्फ इंसानी मृत शरीर के लिए ही है?
क्या वाकई ये कृत, घृणित नहीं है?
-प्रकाश साह
06032023




🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

Monday, 19 August 2024

बहन | PRAKASH SAH

 

PC : Google


जिस दिन तुम्हारी शादी होगी वो क्षण मेरे लिए बड़ा असहनीय होगा,

तुमसे    ज़्यादा    मेरी    आँखों    में   आँसू    बह    रहा   होगा।


उस दिन चाँद-तारों  की  टोली  में  कुछ जुगनुओं को भी बुलाऊँगा,

जिससे तुम अपने ख़्वाबों को खूब सुन्दर सजा लेना, ओ! मेरी बहना।


जब तुम थक जाओ अपनी शादी के मनचाहे शोरगुल की खुशी में,

तब तुम उन यादों को अपनी पलकों से ओढ़ लेना, ओ! मेरी बहना


तुम्हें सुकून की नींद मिले, उन ख्वाबों के बागों में,

तुम उनमें  पंछी - सा सैर करना, ओ! मेरी बहना।


सुबह ज़ल्दी  आँखें  मिचते उठ जाना,  जब पंछी  विचरने लगे आंगन में,

एक पंछी आयेगी बुलाने झरोखे पे, तुम साथ चले जाना, ओ! मेरी बहना।


भोर की ओस  की  बूंदों की भाँती,  खूब रहना चंचलता में,

तुम कंचन मन हेतु तनिक भजन कर लेना, ओ! मेरी बहना।


..............ओ! मेरी बहना........ओ! मेरी बहना..............

जब तुम थक जाओ अपनी शादी के मनचाहे शोरगुल की खुशी में।

-प्रकाश साह
042021




🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

Friday, 16 August 2024

शतरंज का खेल | PRAKASH SAH

 


तुम मेरे चरित्र का चित्र
क्या ही उकेर लोगे।

गंभीर मैं क्यों ही बनूँ?
समझदार मेरे शब्द होंगे।

हाँ, चुपके से हर बार तुम
मेरी हर खबर ले लेते हो।

तुम मुझसे क्या छिपाओगे?
शतरंज में दो ही रंग होते हैं।

इस दो रंग के खेल में
प्यादा हर बार आगे रहता है।

चलो आज नाव पे झील का सैर करते हैं
वहाँ शतरंज का एक खेल  खेलते हैं।

तुम झील का कीचड़ लाना,
मैं सफेद कमल लाऊँगा।

जब भी मैं मुरझाऊँगा,
तुम कीचड़ खूब उछाल देना।

रंग मैं क्या बदलूँगा,
रण में मेरा एक ही रंग होगा।

तुम जब भी मुझसे पूछोगे,
जीवन में तुमने क्या छुपाया है?

हर बार मेरा एक ही ज़वाब होगा,
वो 'रंज' नहीं, 'सुगंध' होगा।

जीवन में जब भी बाधाएँ आयी हैं,
हर बार मैं इसके साथ खिला हूँ।

शतरंज के इस खेल में
हर बार मैं जीता हूँ।

हर बार मैं खेला हूँ,
   हर बार मैं जीता हूँ....

-प्रकाश साह
17102022




🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

Monday, 12 August 2024

उम्र से पहले | PRAKASH SAH

 

PC : @prakashsah


मुमकिन नहीं तुम्हारा मेरा होना,

यूँ ही उम्र को पहले मैंने बुलाया नहीं।


सच है कि यूँ ही कोई

'उम्र' को पहले बुलाया नहीं करता,

बेवक्त घर में उन्हें अचानक

छोटा से बड़ा होना जाना पड़ता होगा।

-प्रकाश साह
29062024



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🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏