आप सभी का इस ब्लॉग पर स्वागत है। इस ब्लॉग को लिखने का कुछ खास उद्देश्य नहीं है। एक इंसान को अपने जीवन में हर दिन कई भाव विचारों से गुजरना पड़ता है। बस इन्हीं भावों को कविताओं के माध्यम से आपसब के साथ साझा करने का मुझे यह एक उचित स्थान लगा। आप मेरे लिखे रचनाओं के माध्यम से इस ब्लॉग के नाम का सार्थक परिभाषा भी जान सकते हैं। मेरी रचनाएँ कुछ काल्पनिक हैं और कुछ वास्तविक हैं। इससे किसी के जीवन में मार्गदर्शन मिल जाये तो बस यह एक संयोग मात्र होगा। [अंतिम पंक्ति आपके चेहरे पे मुस्कान लाने के लिए था]
Saturday, 3 June 2017
Thursday, 1 June 2017
नन्हे बालक की अल्हड़ बातें - prakash sah
खूबसूरत वादियों के गोद में
एक बालक
स्वप्न जिकर उठा एक बालक,
धिरे-धिरे छँटी ये रात की काली चादर,
उभरा एक
अनजाना-सा दृश्य,
अब ये सामने
कौन-सी विशाल चादर?
छँटने के बजाए बढ़ रही सवेर के अंजोर में,
चार पहर के अलावा,अब आया कौन-सा ये नया पहर?
चार पहर के अलावा,अब आया कौन-सा ये नया पहर?
बड़ी आँखों से कुछ क्षण तक यूँ ही देखा,
बनकर निकला
एक खूबसूरत वादियों में का पहाड़,
दाएँ जंगल, बाएँ जंगल, अडिग पहाड़ पे चढ़ता जंगल,
इन मनमोहक दृश्यों को समेटकर, बालक का मन हुआ चंचल।
फिर से एकटक, विशाल पहाड़ को बालक ने देखा,
फिर से एकटक, विशाल पहाड़ को बालक ने देखा,
मन में कुछ सवाल उभरा-
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