जिंदगी एक सफर है सुहाना
जिंदगी एक सफर है सुहाना,
मिलजुल कर है अपनाना।
चलो सब साथ या अकेला,
बोझ अपना या दूसरे का, खुद पे इतना मत देना
कि खुद का ही वजूद भूल जाओ।
देखो अगल बगल कोई दोस्त है या दुश्मन,
ट्रेन के डिब्बें अच्छे हैं या टूटे-फूटे अस्त-व्यस्त,
चलो इसमें कोई फर्क ना करें,
हमसब एक ही परमात्मा के हैं जो बंदें ।
जिंदगी की एक ही मंजिल तक है पहुंचना
जिंदगी एक सफर है सुहाना,
मिलजुल कर है अपनाना ।
जिंदगी एक सफर है सुहाना,
मिलजुल कर है अपनाना...
©ps
अतिसुन्दर प्रकाश जी
ReplyDeleteधन्यवाद शकुंतला जी...आपकी सराहना के लिए ।
Deleteखूबसूरत एहसासों को खूबसूरती से लिखा है....
ReplyDeleteआपने इन एहसासों को महसूस किया...इसके लिए शुक्रिया।
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