Email Subscription

Enter your E-mail to get
👇👇👇Notication of New Post👇👇👇

Delivered by FeedBurner

Followers

Tuesday, 8 October 2019

बाढ़ में बादल (Baadh Mein Badal) - prakash sah



बाढ़ में बादल

बाढ़ में बादल (Baadh Mein Badal) - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY www.prkshsah2011.blogspot.in



बदइंतजामी से बेहाल है बादल

कहीं है जंगल फांका-फांका,

कहीं भूखंड है पड़ा विरान।

असमंजस में बादल, कहीं फूट पड़ा

जन जीवन हुआ इतर-बितर।

असमय व्यवहार इसका,

हदें तोड़ दी जरूरतों की।

उभर पड़ी विस्थापना की समस्या,

बादल ये देख-देख सोच में पड़ा-

मैं अप्राकृतिक हुआ कैसे?

दोष इसमें किसका है?

मेरा या मानवों के भौतिक सुख का?

- prakash sah (©ps)





***
अगर आपको मेरा ब्लॉग अच्छा लगा तो कृप्या इसे फॉलो  और सब्सक्राइब करें  
और हाँ....आप अपनी प्रतिक्रिया दें और इसे SHARE करना बिल्कुल ना भूलें
धन्यवाद !!!

अगर आप इसे Desktop View में देखना चाहते हैं तो यहाँ click करें

UNPREDICTABLE ANGRY BOY
PRKSHSAH2011.BLOGSPOT.IN
PC : Google

16 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 09 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. यशोदा जी, आपका बहुत-बहुत आभार। धन्यवाद।

      Delete
  2. You write very well and you keep writing brother.😊

    ReplyDelete
  3. बहुत गहरा चिंतन ।
    सटीक सार्थक।

    ReplyDelete

  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद श्वेता दी।
      इस बार मैं आपको प्रभावित करने सफल रहा।

      Delete
  5. बहुत सुंदर और सार्थक रचना

    ReplyDelete
  6. दोष इसमें किसका है?
    मेरा या मानवों के भौतिक सुख का?
    चिंतन करने योग्य सवाल ,हर एक को खुद से ही पूछना होगा ,गहरी चिंतन करती रचना ,सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

      Delete
  7. मानव ने प्रकृति का बहुत नुकसान किया है मात्र निजी स्वार्थ के लिए।
    सुंदर अभिव्यक्ति।
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे 

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद रोहित जी!

      Delete
  8. Your words truly related to the aspects of selfness of human and their greedy nature that destoy our nature.

    ReplyDelete
    Replies
    1. We have to take hard steps to reach nearby the normal situation.
      Thankyou for coming here, Mr. Abhishek.

      Delete