पिछले साल गाँव के हमारे सारे खेत विरान थें,
कुछ मधुएँ मेरी नानी के घर से मेरी माँ को बताने आयी थीं।
याद है मुझे वो शादी वाला साल, जब पीले फूलों की खुश्बू थी,
आने वाले हर ऋतुओं में, तुम मुझसे धीरे-धीरे दूर हुयी थी।
मधुओं ने देखा है, हमारे बीच बदलते मौसम वाले रिश्तें हैं,
इसलिए शीतलहरी में भी मधुओं ने सरसो के बीजें बोई हैं।
और जब तुम कभी आओगी मिलने, बसंत के फूलों के खेत में,
मधुएँ आएँगी हमारे बीच सारी कड़वाहटों को दूर करने के लिए।
ता-उम्र बिगड़ते रिश्तें सुधारेंगी मधुएँ,
जब-जब उन्हें बसंत के फूल मिलेंगे।
बस हर बार तुम याद से देख लेना,
हमारे खेत बसंत में विरान ना मिलें।
-प्रकाश साह
21012023
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