।। मेरा मन डगमगाता ।।
मेरा तन सहलता
हवा के झोंको से,
पताका डूलता हर दिशा में,
मेरा मन डगमगाता
हर मुश्किल दशा में ।
अगर कारण को
जान लूँ, ठान लूँ
परिश्रमी मजदूर बनकर
सूर्यताप भी कम कर दूँ ।
मेरा मन माने ना
मेरा मन कहे रुकना ना,
आसपास की प्रतिक्रिया पे
तू कभी भटकना ना ।
कदम मेरा कठिन
लक्ष्य ना मेरा किसी के अधीन,
पूर्णतः मेरा दृढ पहल
लक्ष्यपूर्ण कर बना दूँ उसे सरल ।
कुछ क्षण के लिए
जरुर उपहास का पात्र बनूँगा,
एक दिन गरीबों के लिए
उनके विकास का छात्र बनूँगा ।
ईश्वर से मेरी एक कामना
मेरे कर्मविचार सदैव ऐसे ही रहना,
मेरा मन डगमगाता
उसे कभी डगमगाने ना देना ।
मेरा मन डगमगाता
उसे कभी डगमगाने ना देना,
मेरा मन डगमगाता
उसे कभी डगमगाने ना देना....
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