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Friday, 10 November 2017

देर रात अंधियारे में (Der Raat Andhiyare mein : Late Night) -ps

।। देर रात अंधियारे में ।।

Nightingale

तु क्यूँ चहकती रात के अंधियारे में,

क्यूँ तेरे पेट का मिलाप नही हुआ स्वादिष्ट आहारों से !

तुझे नही दीखता अब मैं सो गया, गहरी निंदों में,

तु पहले क्यूँ नही आयी, जा अब मै ना निकलूँ, इस गर्म रजाई से ।

मेरी एक लालसा तु समय पर आया कर, जिससे डूब जाऊँ तेरी स्वरगूँजन में ।

तु बार-बार क्यूँ भूल जाती, मै आलसी हूँ लड़कपन से ।

तेरी ये चहचहाहट सुनने के लिए ही जगता, देर तक इस अंधियारे में,

मुझे मालूम चला तु क्यूँ  भुखी  रहती, तुझे जो पसंद है खाना मेरे हाथों से ।

अच्छा ! इसलिए तु चहकती रोज देर रात के अंधियारे में

तुझे जो पसंद है खाना मेरे हाथों से

तुझे जो पसंद है खाना मेरे हाथों से...
©ps


12 comments:

  1. सुंदर भाव समेटे सहज रचना....
    लिखते रहें। शभकामनाओं सहित

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद, पुरूषोत्तम जी ।

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  2. Replies
    1. धन्यवाद लोकेश जी

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  3. तु बार-बार क्यूँ भूल जाती, मै आलसी हूँ लड़कपन से
    behad shandar
    saral shabdon me sunder rachna likhte hai aap....shubhkamnayen

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    Replies
    1. आपके इन प्रशंसनीय शब्दों के लिए आभार।

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  4. हर एक पंक्तियाँ अद्भुत सुन्दर है जिसे आपने बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया है

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  5. धन्यवाद संजय जी

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  6. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद, अनुराधा जी।

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  7. सम्वेदना का स्वर मुखरित करती मर्मस्पर्शी रचना. रचनाकार का दृष्टिकोण प्रकृति के सूक्ष्म अवलोकन को बख़ूबी अभिव्यक्त करता है. सुन्दर रचना. बधाई एवम् शुभकामनाएं. लिखते रहिये.

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    Replies
    1. आपका भी अवलोकन किसी कृति के प्रति सदैव सटीक होता है। आपके प्रतिक्रिया का मुझे सदैव प्रतिक्षा रहता है। रचना के प्रशंसा में सुन्दर शब्दों और शुभकामनाएं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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