#आपन_भाषा भोजपुरी
मुझे अपनी भाषा से अगाढ़ प्रेम है। मैं हमेशा इसे गौरवान्वित कराने की कोशीश में रहता हूँ। मैं भोजपुरी को और समृद्ध होते देखना चाहता हूँ। इसी क्रम में यह मेरा एक छोटा कदम है।
(1)हमारा भोजपुरी भू-भाग का परिश्रम किसी से छुपा नहीं है। यहाँ के लोग सदैव ही परिश्रमी रहें हैं। जब एक किसान खेत में जीतोड़ मेहनत करके भोजन करता है तो उसे सुकून का नींद आता है...एक साधारण से घर में भी। और इसके बाद अनायास ही उसके मुख से निकल आता होगा...."बड़ा निक लागेला"।
(2) हमारे जीवन में माता-पिता से बढ़कर और कुछ नहीं होता है। इनके बिना हमारा जीवन का अर्थ शून्य है। हम सब अपनी मांँ से बहुत ही प्रेम करते हैं और खुद को उनके नजदीक ज्यादा पाते हैं। लेकिन हम उनको परेशान करने का एक कसर भी नहीं छोड़ते हैं....उनके साथ नोक-झोंक लगा रहता है। अगर माँ डाँट दे तो फिर हम उनसे रूठ कर बात नहीं करते हैं पर ज्यादा देर तक नहीं...क्योकि हम ही वो हैं जो उनसे बात किए बिना नहीं रह सकते हैं। इसके बाद माँ के साथ वही नटखटपन फिर से शुरू...। लेकिन पापा के डाँट से हमेशा ही डर लगा है....और पता नहीं क्यूँ उनकी बात दिल को चूभ भी जाती है....और इसी क्रम में हम घर छोड़न की भी ठान लेते है पर गुस्सा ठंडा होते ही सारा हेकड़ी निकल जाता है। और ऐसा भ्रम हमारे जिंदगी में कई बार आता है....और हमेशा अंत में हमारे चेहरा पे मुस्कान के साथ अनायास ही मुख से निकल आता है..."बड़ा निक लागेला हो...बड़ा निक लागेला हो...बड़ा निक लागेला"।
(3)छात्र जीवन में नींद से सदैव ही सबको लगाव रहा है। आज के सोशल मीडिया जमाने में तो देर रात तक जगना और सुबह देर तक सोना आम बात हो गई है। फिर भी हम जब भी देर से उठते हैं तो अफसोस होता है....और खुद से निश्चय करते हैं कि अगले दिन से फिर ऐसा नहीं होगा। लेकिन हम कहाँ मानने वालों में से हैं....रोज खुद से वही वादा और फिर इसका अंत वही। परिक्षा(इम्तिहान) छात्र जीवन का महत्वपूर्ण अंग रहा है। हम पूरे वर्ष सही ढ़ंग से नहींं पढ़ते हैं और परिक्षा के समय दिन-रात एक कर देते हैं.....सारा कॉपी-किताब बिस्तर पे फैल जाता है। और उसी समय संकल्प लेते हैं कि परिक्षा के बाद पहले दिन से ही पूरे वर्ष मन लगा कर पढ़ेंगे। फिर परिक्षा बितने के बाद वही धूम-धड़ाका शुरू....और आह्ह्ह लेते हुए हम कहते हैं...."बड़ा निक लागेला हो...बड़ा निक लागेला हो...बड़ा निक लागेला"।
"मेरे तरफ से सभी को नव वर्ष की ढे़र सारी शुभकामनाएँ"
बड़ा निक लागेला
FULL SCREEN VIEW 👈(1)
बरखा के धार में,
घाम के पसीना में
मेहनत करके
एक वक्त के रोटी
बड़ा निक लागेला
माटी के घर में,
बाँस के मचान पे,
खईला के बाद
एक वक्त के निंद
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला...
(2)
बाबुजी के डाँट में,
घर छोड़े के ख्याल में,
सोचला के बाद
घर जाए में
बड़ा निक लागेला।
माई के दुलार में,
नोक-झोंक कईला से,
रूठला के बाद
'आँचल के छाँव' जाए में
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला...
(3)
देर रात जगला में
दोपहरिया के उठला में
अंगराई के बाद
'अब से ना' के अफसोस
बड़ा निक लागेला।
इम्तिहान के समय में
दिन-रात पढ़ला में
कुछु ना बुझईला के बाद
खूब कापी-किताब पलटला में
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला...
©prakashsah
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सोचला के बाद
घर जाए में
बड़ा निक लागेला।
माई के दुलार में,
नोक-झोंक कईला से,
रूठला के बाद
'आँचल के छाँव' जाए में
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला...
(3)
देर रात जगला में
दोपहरिया के उठला में
अंगराई के बाद
'अब से ना' के अफसोस
बड़ा निक लागेला।
इम्तिहान के समय में
दिन-रात पढ़ला में
कुछु ना बुझईला के बाद
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बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला हो
बड़ा निक लागेला...
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🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏
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भोजपुरी हमहूँ के बड़ा निक लागेला...भाई आपकी इस रचना की जितनी सराहना करे हम कम है बहुत बहुत सुंदर आँचलिक भाषा में गढ़ी रचना...माटी की सोंधी खुशबू से सराबोर....मनमोहक सृजन...👌👌👌👌
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद दी। मैं आपको प्रभावित कर पाया ये मेरे लिए सच्च में प्रसन्नता की बात है।
Delete"बड़ा निमन लागल राउर प्रतिक्रिया पढके"🙏🙏
Quiet impressive 😊😊
ReplyDeleteThanks Bro! 🙏
Deleteप्रिय बंधु प्रकाश --भले भोजपुरी ना के बराबर आती है पर रचना बड़ी सरस है नीक लागेला | अपनी भाषा अपनी माटी उसकी जगह कोई नही ले सकता |
ReplyDeleteजी मैं जरूर उपस्थित होऊँगा। सादर आभार आपका। मेरी रचना को और अधिक पाठकों तक पहुँचाने के लिए। धन्यवाद।
ReplyDeleteसहृदय आभार आपका। भोजपुरी इतनी सहज है कि ये सबको अपने हृदय में जगह देती है। आपने सही कहा...अपनी मातृभाषा से एक अलग ही प्रेम रहता है।
ReplyDeleteदिल की छू गईला बा 😘💋
ReplyDeleteराउर बहुते धन्यवाद 🙏
Deleteबड़ा निक रचना लागल राउर ,वाह !!!! दिल खुश हो गइल ब्लॉग पर भोजपुरी रचना देख के।
ReplyDeleteसच ,बहुत खूब लिखा है आपने सरस ---सरल भोजपुरी ,मेरी मातृभाषा भी भोजपुरी ही है। सादर नमन
प्रणाम स्वीकार करीं हमार। भोजपुरी के मिठास सब जन तक पहुँचे ईहे हमार कोशिश बा।
Deleteआप मेरे ब्लॉग पे आयीं और भोजपुरी से अपने लगाव को यहाँ वयक्त किया...एकरा खातिर राउर बहुत-बहुत आभार बा।
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद स्वीकार करें मेरा, दीपशिखा जी।
Deleteमाटी से निकली हुई है सोंधी सी रचना बहुत प्यारी लगी।
ReplyDeleteअपने अनुभव को मेरे साथ साझा करने के लिए सहृदय आभार आपका।
Deleteभोजपुरी पुरी तो नही समझ पाई पर रचना कुल मिलाकर बहुत ही नीकी लगी।
ReplyDeleteबधाई अपनी भाषा की खुशबू को हम सभी तक पहुंचाने के लिए ।
सादर।
धन्यवाद कुसुम जी। इसकी खुशबू आप तक पहुँच गयी इतना ही काफी है।
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteनिज बोली-भाषा में जो अपनत्व समाहित है वह अनमोल है। सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसलिए तो हम कहे "आपन_भाषा भोजपुरी"।
Deleteमैं इसे बोले बिना एक दिन भी नहीं रह सकता। प्रशंसा हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद, भईया। काफी दिनों बाद आपकी कोई प्रतिक्रिया आयी। प्रणाम।
दिल को छूती लाज़वाब रचना....
ReplyDeleteमुझे बहुत खुशी हुई यह जानकर।
Deleteसादर प्रणाम सर। मेरे ब्लाॅग पर आपका स्वागत है। भोजपुरी ही दिल है।
वाह भाई वाह दिल खुश कर दिया तुमने तो
ReplyDeleteप्रकाश भाई आप और आगे बढ़े यहीं शुभकामना मेरी ओर से
धन्यवाद भाई। 😘 😍
Deleteअइसही निमन निमन रचना लिखत रहीं। रउआ के पढेनी त हमरो बड़ा नीक लागेला। जय भोजपुरी जय हिंदी।
ReplyDeleteहमार तऽ कोशिश बरले बा....बाकी राउर विचार जान के हमरो बड़ा नीक लागल। आभार।
Deleteजय भोजपुरी जय हिन्दी।
बड़ा मजा आ गइल भाई
ReplyDeleteधन्यवाद भाई!🙏
DeleteBhut badhiya
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी!!! ☺
Deleteबड़ा निक लागल इ रचना | keep working and best of luck.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद राउर!!!
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