हिंसा का जवाब अहिंसा नहीं
अहिंसा का जवाब हिंसा नहीं
पर हिंसा का जवाब...हिंसा भी नहीं
और अहिंसा का जवाब
अहिंसा भी गैरजरूरी नहीं।
ना आज तक कोई हिंसा रोक पाया है
ना फिर कोई दूसरा गाँधी बन पाएगा
हर कोई गाँधी का...चोला पहनकर
अहिंसा का झंडा थामे रखा है
ये भी बेफिजूली है, वो भी नामंजूर है
जो हो गया वो भी सही है
और
जो ना हुआ वो भी गलत है
बस इतना ही समझिए...!!!!
-prakash sah
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©prakashsah
UNPREDICTABLE ANGRY BOY
PRKSHSAH2011.BLOGSPOT.IN
P.C. : UAB
Kafi gehrai wali baaten h..
ReplyDeleteBhot sahi kaha
Bahot - Bahot dhanywaad Aapka...🙏
Deleteसार्थक रचना। समय और स्थिति के अनुसार दोनों की जरूरत पड़ जाती है।
ReplyDeleteजी बिल्कुल!
Deleteधन्यवाद ब्लॉग पर आने के लिए।
सादर आभार आपका 🙏
ReplyDeleteसटीक सार्थक रचना।
ReplyDeleteजी धन्यवाद!
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय! ऐसे ही प्रेरित करते रहें।
Deleteसुन्दर और सार्थक रचना ।
ReplyDeleteजी बहुत-बहुत आभार आपका। बस...आशीष मिलता रहे आपका।
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