आज मैंने फिर से
वही बचपन की
हवाओं को महसूस
किया है,
जिन्हें मैं अब
बिलकुल ही भूल चुका था।
वो खुश्बू, जो मेरे साँसों को
एक अलग साज देती
थी,
उसका रोम-रोम
स्पर्श
मेरे मुख पे
एक मखमली मुस्कान
देती थी,
आज वही हवाएँ
मेरी खिड़कियों
से
सर-सर्राती हुई
मेरे बिस्तर तक
पहुँच रही है,
जो मेरे कानों को
तो
एक अलग
अनसुनी
लयबद्ध संगीत दे
ही रही है
और उसी क्षण
जब भी मैं
खिड़कियों से
बाहर देख रहा हूँ
तो इन हवाओं के
संग
बीच-बीच में
उन मेघ
शयनों का आना
जैसे आँखों पे
पलकों का
धीरे से टहरना,
मानो ये मेरे दो अर्ध-नयनों को
मिठे स्वाद दे
रहे हों।
और उन मेघों से छनकर
आती वो गुनगुनी
धूप
मनोहरी
मेरी आँखों में
सुकून भरी रौशनी
भर रही है।
आज
फिर से
इन हवाओं ने
मुझसे बिछुड़ चुके
उन सभी मिठे-मिठे
एहसासों को
बचपन के ख़जाने
से
ढूँढ़कर
आज मेरे
थक चुके मन को
सहला रही है।
230521
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एहसासों को
ReplyDeleteबचपन के ख़जाने से
ढूँढ़कर
आज मेरे
थक चुके मन को सहला रही है।---वाह प्रकाश जी...बचपन अनुभूतियों को सागर होता है, उस दौर में अनुभूतिओं का अंकुरण आवश्यक है क्योंकि वही हमें ताउम्र भला इंसान बने रहने में मदद करती हैं...। बहुत अच्छी और मन को छूने वाली रचना। खूब बधाई
जी आपने बिलकुल सही कहा कि बचपन में अनुभूतियों का अंकूरण होना आवश्यक है।
Deleteऔर आपने इस रचना को अपने मन की गहराई में महसूस किया यह मेरे लिए एक कवि/लेखक के रूप में उत्साहवर्धक है। जी इस स्नेह हेतु बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद आपका।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteशानदार👌
जी इस स्नेह हेतु शुक्रिया आपका। 🙏
Deleteजी सहृदय बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद आपका।
ReplyDeleteबहुत प्यारी सुकून से भरी रचना ।
ReplyDeleteजब मन का कोई कोना विहँसता है लेखनी इतना ही प्यार उड़ेलती है।
सादर।
जी आपने बिलकुल सही कहा। इस स्नेह हेतु बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏
Delete
ReplyDelete'सपने सुहाने लड़कपन के' जैसे सुन्दर प्रस्तुति
जी बहुत धन्यवाद आपका 🙏
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteजी बहुत धन्यवाद आपका 🙏
DeleteBehtareen
ReplyDeleteजी आपका बहुत शुक्रिया 🙏
Deleteबचपन की याद संजोती बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteजी आपका बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteजी आपका धन्यवाद
Deleteबचपन के सुंदर एहसासों के हिंडोले में झुला गई आपकी ये रचना ।
ReplyDeleteजी यह जानकर बहुत खुशी हुई। मेरा लिखना सार्थक हुआ। आपका बहुत धन्यवाद।
DeleteBachpan ek aisa khubsurat aehsas h jo hamesa bachi m dikhta h
Deleteजी सही कहा आपने।
Deleteधन्यवाद!
प्रिय प्रकाश, जब हम बचपन की स्मृतियों को इतने जीवन्त रूप मेजी क्षणिक आनन्द लेते हैं तो वो आनन्द समस्त वैभव को फीका कर देता है।
Deleteजी हाँ....बचपन की स्मृतियाँ ऐसी ही होती हैं।
Deleteधन्यवाद, दी!!!