PC : @prakashsah |
ज़हन में जब कुछ राज़ दफन किये जाएँगे,
तो सच में शहर में बहुत कोई अपने हो जाएँगे।
लगन से जब कुछ पौधें शहरी भाषा सीख जाएँगे,
तो सच में शहर में कई बग़ीचे जंगल हो जाएँगे।
-प्रकाश साह
05042024
मेरी कुछ अन्य नयी रचनाएँ....
आप सभी का इस ब्लॉग पर स्वागत है। इस ब्लॉग को लिखने का कुछ खास उद्देश्य नहीं है। एक इंसान को अपने जीवन में हर दिन कई भाव विचारों से गुजरना पड़ता है। बस इन्हीं भावों को कविताओं के माध्यम से आपसब के साथ साझा करने का मुझे यह एक उचित स्थान लगा। आप मेरे लिखे रचनाओं के माध्यम से इस ब्लॉग के नाम का सार्थक परिभाषा भी जान सकते हैं। मेरी रचनाएँ कुछ काल्पनिक हैं और कुछ वास्तविक हैं। इससे किसी के जीवन में मार्गदर्शन मिल जाये तो बस यह एक संयोग मात्र होगा। [अंतिम पंक्ति आपके चेहरे पे मुस्कान लाने के लिए था]
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ज़हन में जब कुछ राज़ दफन किये जाएँगे,
तो सच में शहर में बहुत कोई अपने हो जाएँगे।
लगन से जब कुछ पौधें शहरी भाषा सीख जाएँगे,
तो सच में शहर में कई बग़ीचे जंगल हो जाएँगे।
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