Email Subscription

Enter your E-mail to get
👇👇👇Notication of New Post👇👇👇

Delivered by FeedBurner

Followers

Monday 6 February 2023

बसंत के फूलों के खेत में | PRAKASH SAH

www.prkshsah2011.blogspot.in

 

पिछले  साल  गाँव  के   हमारे   सारे   खेत   विरान    थें,

कुछ  मधुएँ  मेरी   माँ   को  ये   बताने    घर  गयी   थीं।


याद है मुझे वो शादी वाला साल, जब पीले फूलों की खुश्बू थी,

आने  वाले  हर ऋतुओं  में,  तुम मुझसे  धीरे-धीरे  दूर हुई थी।


 मधुओं ने देखा है,  हमारे बीच बदलते मौसम वाले रिश्तें रहे थें,

 इसलिए मधुएँ शीतलहरी में भी सरसो के फूलों का रस लाती थीं।


और फिर जब हम मिले थें बसंत के फूलों के खेत में,

तब मधुएँ ही आयी थीं हमारे बीच सारी कड़वाहटों को दूर करने के लिए।


ता-उम्र बिगड़ते रिश्तें सुधारेंगी मधुएँ,

जब-जब उन्हें बसंत के  फूल मिलेंगे।

बस हर बार  तुम याद  से  देख लेना,

हमारे खेत बसंत  में  विरान ना मिले।

-प्रकाश साह

21012023



 मेरी कुछ अन्य नयी रचनाएँ....


आपकाे यह रचना कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बतायें। और अगर मेरे लिए आपके पास कुछ सुझाव हाे तो आप उसे मेरे साथ जरूर साझा करें।     

🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

Photo Credit : PRAKASH SAH

No comments:

Post a Comment