एगो चाँद के कोना तोड़ले रहनी,
आपन इश्क के आसमान बनावे ख़ातिर।
तोड़ले रहनी हर दिन एगो तारा एमे से,
आपन इश्क के माँगे खातिर।
एकरा के दूगो नैनन से खूब निहरले रहनी
आपन ख्वाहिश के सच बन जाए खातिर।
जब टूट जाला सारा तारा इश्क के,
आवेला जुगनू रात में तारा बन जाए खातिर।
मन के पंछी चाहेला आसमान के हद छू लीं,
बस रूक जाला एगो तिनका के सहारा खातिर।
-प्रकाश साह
08062022
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 14 जून 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 14 जून 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी इस सम्मान हेतु आपका सादर धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteजी धन्यवाद!
DeleteI always spent my half an hour to read this webpage’s content every day along with a cup of coffee.
ReplyDeleteवाह! ऐसहीं अपने लिखत रहीं। बहुत बढ़िया। भोजपुरी के नजाकत से भरल पुरल एतना निमन गजल पढ़ के मन हरिहरा गइल।
ReplyDeleteजी धन्यवाद। खुशी भईल जानके। अइसने राऊर आशीर्वाद बनल रहे के चाहीं।
Deleteज्यादा समझ नहीं पाये पर मीठा है, कसक भरा भी है 👌🙂
ReplyDeleteप्रणाम दी!!
Deleteइसके मीठेपन एहसास को आपने महसूस कर लिया यही बहुत बड़ी बात है।
हमेशा यशस्वी रहिये प्रिय प्रकाश।
Deleteजी धन्यवाद दी!!
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