यह भोजपुरी कविता इस कोरोना महामारी में एक बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम, चिंता, ख्याल, एवं पुत्र जैसा व्यवहार का एक संवाद है। जो अपने छोटे भाई को बड़े ही दुलार से कुछ बाते समझा रहा है।
मान लीजिए आपके घर में एक छोटा भाई है जो बहुत चंचल है जिसे बहुत लाड-प्यार में पाला गया है। वह शरीर से बड़ा तो हो चुका है पर अब भी आप उसे एक छोटे बच्चे जैसा ही देखभाल करते हैं और वह भी उस दुलार के वज़ह से उस दायरे से कभी नहीं निकला है।
सच है कोई भी उस दायरे से नहीं निकलेगा जिसे इतना मान-दुलार दिया जाये।
फिर अगर यही छोटा भाई अपने बड़े भाई के छत्रछाया से दूर होकर आगे की पढ़ाई करने हेतु दूसरे शहर अकेले पढ़ने-रहने के लिए जाता है जो पूरी पढ़ाई होने तक वहीं रहेगा।
वहाँ रहते हुए अभी कुछ ही महीनें गुजरे थें कि तब ही हमारे देश में कोरोना महामारी की वज़ह से आपातकालीन परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है और वह छोटा भाई उसी शहर में अकेला फँस जाता है।
वह सदैव ही सुख सुविधाओं में ही पला-बढ़ा है...और उसका बहुत ख्याल रखने के लिए हमेशा उसका बड़ा भाई रहा है जो हर मुश्किल वक्त में उसको अपने छत्रछाया में रखा है...पर अब इस कोरोना महामारी के भयावह परिस्थिति में वह अपने छोटे भाई के साथ नहीं है। वह जानता है कि उसका छोटा भाई समझदार तो है पर चंचल भी है, नादान भी है और ऐसी आपातकालीन परिस्थिति का उसके पास कुछ भी अनुभव नहीं है।
इस परिस्थिति से उस बड़े भाई को कितनी बेचैनी और चिंता हो रही है (उस दुलारे छोटे भाई के लिए)...इन्हीं बातों को मैंने अपनी भोजपुरी बोली के शब्दों के माध्यम से यहाँ नीचे बताना चाहा है...
[1]
का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
अबहीं के समय बा बेकार
तू रखीऽ दू हाथ के जहान
बाहर घूमऽ ता एगो बीमार
सरकार के देहल बा बयान
जान तानी तू बाड़ऽ सयान
तऽ तू मान जइ-बऽ ई गुहार
लेकिन का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
[2]
का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
घूमे के मत रखीऽ बहार
दूसरा लहर में बा बवाल
खूब होता अबहीं बुखार
देह ताप के र खीऽ ध्यान
वैक्सीन के बा हाहाकार
अब 18+ में भईल बहाल
लेकिन का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
हिम्मत से जीत होई साकार
अबहीं तलवार के बनऽ मयान
बीतल दिन फेर आयी तोहार
बेफालतू कौनो मत दिहऽ बयान
ई डॉक्टर करिहन सब साकार
हाँ ई गुजरी समय, करऽ इंतज़ार
लेकिन का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
[4]
का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
सीख लऽ अब करे के नकार
बिना काम के मत जईह दुकान
देखऽ माँ-बाबुजी के बा दुलार
सपना तोहार ना होई नाकाम
इहाँ घर-बार, सब बा गुलज़ार
तू बुलई बऽ त आ जाएम बिहान
लेकिन का भरोसा बा तोहार
तू रख बऽ आपन खयाल
-प्रकाश साह
260421
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बहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteजी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏
Deleteवाह! ठेठ देसी जुबान में मतलब के सनेस।🙏🙏🙏
ReplyDeleteजी रऊआ हमार प्रणाम स्वीकार करीं।
Deleteमुझे अपनी भोजपुरी रचनाओं पर सदैव ही आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है। इससे मैं बहुत प्रोत्साहित होता हूं कि मैं और भी भोजपुरी रचनाएं लिखूँ।
ई खातिर राऊर बहुत-बहुत धन्यवाद-आभार।🙏🙏🙏🙏🙏
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 14-05-2021) को
"आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ:"(चर्चा अंक-4060) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद
…
"मीना भारद्वाज"
पुनश्च: कृपया चर्चा अंक-4065 पढ़े ।
Deleteजी अवश्य। आपके इस स्नेह और सम्मान के लिए बहुत बहुत धन्यवाद-आभार 🙏
Deleteदेशी अंदाज में बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteहाँ मेरी माँ की भाषा की सुगंध है। आपके इस स्नेह के लिए बहुत धन्यवाद ज्योती दी।
Deleteसुन्दर कविता...
ReplyDeleteजी बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏
Deleteबहुत बढियां, स्वभाषा की खूशबू
ReplyDeleteजी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद-आभार।
Deleteवाह बहुत शानदार ।
ReplyDeleteऐसे तो शायद नहीं समझ पाती पर आपने साथ सब हिंदी में लिख दिया।
वात्सल्य से ओतप्रोत रचना।
आप इस भाषा को न जानते हुए भी इसके प्रति इतना स्नेह दिखायीं इसके लिए सहृदय आभार एवं धन्यवाद आपका। 🙏🙏
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteजी बहुत धन्यवाद आपका 🙏
Deleteभाई के लिये वात्सल्य भरे उद्गार ..हर शब्द का मतलब न समझ पाने के बाबजूद कविता का समग्र भाव स्पष्ट है और सबसे मुख्य बात यही है .
ReplyDeleteजी भाव को समझना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि शब्द तो बस भावों को पहुंचाने का एक जरिया है।
Deleteआपने मेरे इस भोजपुरी कविता के लिए इतना स्नेह और अपनापन दिखाया इसके लिए आपको प्रणाम एवं सहृदय धन्यवाद-आभार।
बहुत बढ़िया !!भ्रातृप्रेम का सुंदर संदेश देती भावपूर्ण रचना,आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसंदेश आप तक पहुंचना जाना ही रचना की सार्थकता निश्चित हो रही है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।
DeleteBahut accha kavita ba tahar
ReplyDeleteवाह! भईया। आज रऊआ आ ही गईनी हमार ब्लॉग पर। बड़ा मन खुश भईल। धन्यवाद भईया जी।
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