Dear You,
आज शाम के
पाँच बज रहे थें
और
तुम्हारी बातों से लगा
आज तुम
कुछ बुझी सी हो।
कई दिनों से
मुझे भी
कुछ कहना था तुमसे।
कुछ बातें याद आती है
तुम्हारे लिए,
हर बार सोचता हूँ
कि
सब बोल दूँ तुम्हें।
अच्छा....!!!
एक खूबसूरत बात
पता है तुम्हें....
मैं
बोल भी देता हूँ
वो सारी बातें
जो सोच रहा होता हूँ
तुमसे बोलने के लिए।
पर
फिर भी लगता है कि
कुछ अधूरा रह गया है
तुमसे बोलने को।
ऐसा क्यूँ होता है?
ये तुमसे भी पूछ लूँ क्या?
ये भी
उसी वक्त
सोचने लगता हूँ।
कितना अज़ीब है ना!!
एक सवाल के जवाब को
ढूँढ़ने में
एक और सवाल
मेरे पास आ जाता है।
है ना अज़ीब!!!!
-प्रकाश साह
20092022
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👌👌👌शायद घनीभूत अव्यक्त प्रेम में आकन्ठ लीन मन की यही दशा होती होगी!!!!
ReplyDeleteजी बिल्कुल सही समझा आपने, दी!!
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