शून्य की आकृति में
अनगिनत बिंदु का परिश्रम है।
कंकर-कंकर पथ पर
पाँव के छाले इसके मूल्य है।
शून्य ही समय है,
अनगिनत की गिनती में
शून्य ही, इसका मान है,
प्रमाण है।
शून्य को आकार दो,
कर्म के पराक्रम से,
अणु से ब्रह्माण्ड तक,
बिंदु से लकीर तक,
इंसान से फ़कीर तक
बनने के सफर में।
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🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏
©prakashsah
UNPREDICTABLE ANGRY BOY
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bhai 1 no.
ReplyDeleteधन्यवाद भाई🙏
DeleteWaaah. Bhai👏
ReplyDeleteधन्यवाद भाई 🙏😊
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ जून २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी जरूर।
Deleteसादर धन्यवाद आपका श्वेता दी!
दर्शन का भान कराती रचना ...
ReplyDeleteधन्यवाद आपका!
Deleteवाह
ReplyDeleteआभार!
Deleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteजी धन्यवाद!
Deleteबहुत सुंदर रचना है आपकी जीवन की सच्चाई को याथारथ करते हुए
ReplyDeleteआभार!
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