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Tuesday 1 September 2020

मुझसे सब नाराज़ हैं.....- PRAKASH SAH


क्या कहूँ!

कहने को

बहुत कुछ है-

मुझसे

सब नाराज़ हैं,

बस...

यही कहने को है।

 

एक-एक कर

सब दूर

हो रहें हैं

मुझसे।


उथल-पुथल

मच गया है

जीवन में।

 

इसकी

वजहें

बहुत है

बस...

समझ

नहीं आ रहा...


कि

कहाँ से

और कैसे

सुलझाउँ इसे?

 

कि

दिल की

सुनूँ या

दिमाग की?

 

एक अविश्वास

का पुल

बन गया है

मन में।

 

और

इस कदर

इस पर

बढ़ गया हूँ...

 

कि

दूरियाँ,

दिल और

दिमाग तक की

बस...

आधी रह गई है।

 

क्या कहूँ...

कहने को

बहुत कुछ है!

मुझसे

सब

नाराज़ हैं

बस...

यही कहने को है।

                      ©prakashsah


2 comments:

  1. खुद से उलझते मन की अनकही दास्तान !!!!!!शुभकामनाएं प्रिय प्रकाश | नियमित लिखा करो | सस्नेह |

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  2. बिल्कुल कोशिश करूँगा, दी।
    धन्यवाद!!!!

    ReplyDelete