(1)
मैं अभी थका नहीं
मैं अभी रूका नहीं
एक प्रण है मेरा
अंत
मेरा गुमनाम ना हो
सोच
के भँवर में
मन
के अँधेरे में
मैं
कभी फँसा नहीं
मैं
कभी बुझा नहीं
हाँ...!
मैं अभी थका नहीं
मैं अभी रूका नहीं
समय
घड़ी की चलती है
बिना
लिए अनुमति किसी की।
राज
रजनी का ढूँढ़ना है
भोर-सा
मुझे बनना है
बीती
बात भूल जाना है
मैं
अभी हारा नहीं
मैं
अभी डरा नहीं
हाँ...!
मैं अभी थका नहीं
मैं अभी रूका नहीं
सहनशील
व्यवहार लाना है
नित्य
सहज करम करना है
निज
बातों का प्रबल समर्थक
स्वयं
में इसका बीज बोना है
मैं
अभी हम नहीं
हम अभी बनना है
मैं
अभी थका नहीं
मैं
अभी रूका नहीं...
हाँ...!
मैं अभी थका नहीं
मैं अभी रूका नहीं
After a long time my buddy... Bt as usual it's awesome,, the words r motivated and I have seen ur character in this poem😍👍
ReplyDeleteThankyou Bhai😍😍
DeleteInspirational.....i am proud of u....keep inspiring ♥️
ReplyDeleteThankyou Bhai😍😍
Deleteसुन्दर अभव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteवाह !बेहतरीन सृजन.
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद अनीता जी!
Deleteसादर आभार आपका।
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