।। चिड़िया ।।
पंख जो फैलाती, अंबर को छूती
उड़कर ही उड़कर, आती है मुझपर
उड़कर ही जाती, उड़कर ही आती
थकती नही, बस प्यासी है चिड़िया
सरोवर है सूखा, नदी मिली तड़पती
बरसा बरसती नही, चिड़िया जाए कहाँ !
चिड़िया है चुगती, चुगती है दाना
कहती है, पानी तुम देने आना
कहती है, पानी तुम देने आना
कहती है, पानी तुम देने आना