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Monday, 2 December 2019

स्थिति में कोई बदलाव नहीं.............-prakash sah


मारे समाज में प्रत्येक दिन कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ घटती है पर इनमें से कुछ घटनानाएँ देश को बिल्कुल झकझोर देती है। इसका उदाहरण हमें बिते वर्षों में कई बार देखनों को मिला है।

2012 के निर्भया कांड से देश का कौन-सा व्यक्ति प्रभावित नहीं हुआ होगा। सबने अपने आक्रोश का प्रदर्शन किया था। हमारे शहरों की सड़कें इसकी साक्षी हैं।
पर इस 27 नबम्बर की घटना से मुझे पक्का विश्वास हो गया कि 2012 से लेकर आज तक की स्थिति में ज़रा सा भी बदलाव नहीं आया है...अंतर बिल्कुल शून्य है.......स्थिति जस की तस है।

इन सभी घटनाओं के बाद की स्थिति को देखकर मुझे इतना ही समझ आया है कि हम जितना जल्दी स्वयं को धधका लेते हैं उतना ही जल्दी स्वयं को बुझा भी लेते हैं....जैसे कुछ हुआ ही ना हो.........और फिर हम किसी दूसरी खबर की ओर बढ़ जाते हैं।

स्थिति में कोई बदलाव नहीं - STHITI MEIN KOI BADLAO NAHI - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY -  www.prkshsah2011.blogspot.in

मैं माफी के साथ एक बात कहना चाहूँगा कि हम जितना किसी एक घटना पर आक्रोशित होते हैं उतना ही कोई और या ऐसी ही प्रत्येक घटना पर आक्रोशित नहीं होते हैं। गिने-चुने घटनाओं पर ही हम अपने गुस्से का प्रदर्शन करते हैं। इसका सीधा - साधा एक ही अर्थ निकलता है हमे भेड़ चाल चलने की आदत हो गई है।
              अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग बिल्कुल चुपचाप बैठे रहते हैं चाहे घटना कितनी भी बुरी क्यों ना हो। लेकिन यही लोग जैसे ही देखते हैं कि भीड़ बढ़ चुकी है तब अपनी प्रतिक्रिया व राय देते हैं......या फिर किसी कारणवश अगर भीड़ नहीं बढ़ी तब सब चुपचाप ही बैठे रह जाते हैं....जैसे वो घटना घटी ही नहीं है।

हमें अपनी सोच बदलनी होगी....हमें प्रत्येक घटना पर अपनी जोरदार प्रतिक्रिया देनी होगी चाहे वो घटना छोटी हो या बड़ी....चाहे छोटे कस्बे की हो या किसी रिहायशी इलाके की.....चाहे किसी छोटे शहर की हो या किसी मेट्रोपोलिटन शहर की। भीड़ को देखकर अपना विचार तय नहीं करना होगा।
जिस दिन प्रत्येक लोग अपने बुद्धिविवेक और संस्कार से तय करने लगेंगे कि यह घटना हमारे समाज के सोच से बिल्कुल विपरीत एवं संक्रमित है तब...जो 2012 से लेकर अभी तक के स्थिति में अंतर शुन्य है....उसमें कुछ बदलाव देखने को मिले।
और आज मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि इस बार बदलाव आने तक हमसब स्वयं को बुझने नहीं देंगे।

स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार पर एक ऐसी ही घटना 2017 में टेलीविज़न न्यूज़ के माध्यम से देखने को मिला था। 2017 के नव वर्ष के जश्न पर दिल्ली और बेंगलुरू में कुछ युवायों ने स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया था। यह घटना भी बिल्कुल दुर्भाग्यपूर्ण व असहनीय था.....एवं अक्षम्य था।
इस घटना को मैंने अपनी एक रचना में व्यक्त किया था......मैं चाहूँगा आप एक बार जरूर पढें।
शायद आपलोग को पता चले हम कितना स्थिर हैं।



....
आधुनिकता के नाम पर तर्क रखने वालों
तेरी छोटी बुद्धि का तर्क ‘कुतर्क’ है।
तू अपनी हरकतें संभाल ले 
या फिर अपनी बरकतें गँवा दे।
तेरी पीढ़ी के साथ हम भी उगे हैं...
हम चौक-चौराहों पे मोमबत्ती नहीं,
मन में सम्मान की लौ जला कर चले हैं

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©prakashsah
UNPREDICTABLE ANGRY BOY
PRKSHSAH2011.BLOGSPOT.IN
P.C. : GOOGLE

7 comments:

  1. मेरे शब्दों और विचारों को सभी तक पहुंचाने के लिए...धन्यवाद आपका!!!

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  2. सहमत हूँ आपकी बात से की हर बार सबको मिल कर ज़ोरदार प्रतिक्रिया देनी चाहिए ... शोर हर बार हो तो बदलाव की उम्मीद की जा सकती है ...

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    1. जी बिल्कुल! बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

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  3. आधुनिकता के नाम पर तर्क रखने वालों
    तेरी छोटी बुद्धि का तर्क ‘कुतर्क’ है।
    तू अपनी हरकतें संभाल ले
    या फिर अपनी बरकतें गँवा दे।
    तेरी पीढ़ी के साथ हम भी उगे हैं...बेहतरीन सृजन

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    Replies
    1. जी बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

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  4. प्रकाश जी ,सही कहा आपने ,स्थिति मे ंं रत्ती भर भी बदलाव नहीं हुआ है । कैसे व कब बदलेगी स्थिति प्रश्न चिन्ह है ..।

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    1. प्रयास करते रहना होगा...

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