।। बारीश
के बूँदें ।।
बारीश के बूँदों का दिवाना ये मौसम,
शीतलता फैलाना इसका रशम ।
छन-छन कर के बूँदो के घूँघरू,
बुलाते हमे की छुपा ले आँसु ।।
तेज हवाओं से बहतें हैं बादल,
ठहरतें हैं तभी, जब
दिखतें हरे-भरे जंगल ।
ज्वलंत क्रोधों को दिखातें,
बरसाते अमृत के बूँदों के बारीश ।
अवरूध उत्पन्न करते हैं गीर,
काले छाती को चिर
दहाड़ते हुए, जलधारा बहाते हैं बादल
।।
बारीश के बूँदों का दिवाना ये मौसम,
बारीश के बूँदों का दिवाना ये
मौसम...
मोतीयों के भाँती बारीश के बूँदें,
तन पे हैं गिरते, लगते ठंडे-ठंडे ।
छोड़ जाते हैं बूँदें, मिट्टी पे
निशान,
धरती माता की गोद में पाते विराम ।।
बारीश के बूँदों का दिवाना ये मौसम,
बारीश के बूँदों का दिवाना ये मौसम...
काले बादलों से पंखों को सुसज्जीत
माने,
मग्न-मुग्ध मयूर जाती नृत्य नहाने ।
मत्स्य जीवन नीर पे ही निर्भर,
उछलते-बिछलते भागतें इधर-उधर ।
एक-एक बूँदों की उपेछा पर
होतें मरन की ओर अग्रसर,
बचा लो अगर तो बन
जाते समुद्र की लहर ।।
बारीश के बूँदों का दिवाना ये मौसम,
बारीश के बूँदों का दिवाना ये
मौसम...
इस मौसम की गहराई बाहों मे समाई,
निंद की झूला पे बारीश के बूँदों ने
सुलाई ।
बादल के काले-सफेद ही हैं
रंग,
बरसते तो कर देते नभ निले रंग ।
बन कर बूँदे, गिरते हैं आँसु,
नयन के सपने की छू ले गगन ।
बारीश के बूँदों का दिवाना ये मौसम,
बारीश के बूँदों का दिवाना ये मौसम,
बारीश के बूँदों का दिवाना ये
मौसम...
©ps