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Saturday, 31 December 2016

सूरज की एक झलक (Suraj Ki Ek Jhalak) - PS



।। सूरज की एक झलक ।।


पेड़-पौधों की है ललक,


देख लूँ सूरज की एक झलक,


इंतजार की किरण जाने लगी,


आँखों की रौशनी खोने लगी,


अब हौले-हौले गिरने लगी आँखों की पलक ।






आपके कारण फूलों में है सुगंधित महक,


आपसे दूर जाने की है झिझक,


पेड़-पौधों की है ललक,


देख लूँ सूरज की एक झलक ।







जीवन जीने की आत्मीयता आप से ही,


खानापूर्ती आप से ही,


हर दुःख दर्द से निपटने की है कवच,


आपकी जिम्मेदारी पे है ना किसी को शक,


पेड़-पौधों की है ललक,


देख लूँ सूरज की एक झलक ।







धुल जाए मन की दूषित कलंक,


बारीश की एक बूँद गया टपक,


सुबह होने की आँखों मे है चमक,


आ चुका है प्रकाश का धमक,


सुन लो दुनिया वालों...


पेड़-पौधों की है ललक,


देख लूँ सूरज की एक झलक ।

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Sunday, 25 December 2016

अटल नाम है मेरा (MY NAME IS ATAL) -PS




।। अटल नाम है मेरा ।।
                                                                          -प्रकाश साह
बच्चों जन्मदिन है मेरा,
आज क्रिसमस का त्योहार है हम सबका,
मिठाई खाना जी भरकर,
मिठी-मिठी बातें करना हंसकर।
सच्चे बच्चों...
अटल नाम है मेरा ||

आत्मविश्वास है मेरा,
देश के भविष्य हो तुम,
भिन्न-भिन्न की कठिनाईयाँ मिलेगी,
हर कठिनाईयों में भी कमल खिला जाना तुम।
सच्चे बच्चों...
अटल नाम है मेरा ||


व्यक्तित्व है मेरा,
संविधान ही धर्म हुआ।
राजनीति नही,
जननीति को बनाना ही राजधर्म किया।
सच्चे बच्चों...
अटल नाम है मेरा ||

अपने संस्कृति को ना भूलना आप,
इसके आड़ में ना करना कोई पाप।
इसकी महत्वता को करना य़ाद,
अटल दृढ़ निश्चय रखना
सबको लेकर चलना है साथ।
सच्चे बच्चों...
अटल विश्वास हो तुम्हारा
अटल नाम है मेरा,
अटल नाम है मेरा,अटल नाम है मेरा...
                                      -Prakash sah



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Tuesday, 20 December 2016

SOMEONE | Prakash Sah


Someone believes me
to be a friend,
Many one  receive  my  relation
to the end.
But no one thinks
Why I’m so crazy for them?
As come like tears,
Blown like wind,
Have not the end like anything.

Sunday, 18 December 2016

धरतीपुत्र सैनिक (Brave Soldiers) - PS


-**- धरतीपुत्र सैनिक -**-
हमारे धरतीपुत्र सैनिक ने है जान गँवाई,
अपने खूनों से वतन की है लाज बचाई ।
ऐ दुश्मन तुझे भय न आया,
तूने किसकी छाती पे है कदम बढाया ।
ये लाखों शहीदों के खूनों से सिंची है छाती,
ये धरती नही, मेरी माता हैं
तूझे इसकी छाती की ताकत नजर ना आई।।

Friday, 16 December 2016

मेरा मन डगमगाता (Mera mann dagmagata) -PS


।। मेरा मन डगमगाता ।।
मेरा तन सहलता
हवा के झोंको से,
पताका डूलता हर दिशा में,
मेरा मन डगमगाता
हर मुश्किल दशा में ।


Tuesday, 13 December 2016

LIFE MUST BE AT REST | Prakash Sah

LIFE MUST BE AT REST

Easy to chase
But hard to defense
Anything in the Life’s race

From left to right

Top to foot
Everyone is strong
from their root


Friday, 9 December 2016

नन्ही कली ( A Little Bud) - PS

।। नन्ही कली ।।

नन्ही कली निकली अभी
ओस की बूँदें उस पे पड़ी
थोड़ी सिहरी थोड़ी ठिठुरी
फिर शरमाते  हुए खिल उठी

नन्ही कली निकली अभी
कैसी ये दुनीया ? सोच रही
उसके अलावा कोई नही
थोडी अनजानी थोड़ी अकेली
आई चुलबुली हवा, हँस उठी

नन्ही कली को मिली सखी
हर पल रहती ये सनसनाती सखी
प्रेम की दीवानी नन्ही कली
कितनी कोमल इसकी पंखुड़ी
थोड़ी नखरीली थोड़ी मासूम
हो गई सयानी, चीख उठी

नन्ही कली अब नन्ही ना रही
अपनी पंखों-सी पंखुड़ी फैला रही
ये निखरती सुन्दरता सबको दिखी
रात के अंधेरों मे भी चमकती दिखी
थोड़ी झुकी थोड़ी ऐंठी
अब मै किसी को ना मिलूँ, कह उठी

नन्ही कली हुई ‘पुष्प रानी’
किसी को देखी किसी के हाथों मे
मेरी ही जैसी कोई ‘गुलाबी सयानी’
क्या कर रही वह ? उसे है जानना
थोड़ी उत्सुक थोड़ी उलझी
कहाँ हो मेरी सखी हवा ? पुछ उठी

Monday, 5 December 2016

पूर्वांचल (Purvanchal) - P.S.

पूर्वांचल

जिसने पूर्वांचल की गोद मे खेला,
पग-पग मे देखा आस्था का मेला ।

जिसने खाई इस मिट्टी कीसौगंध,
पल-पल महसूस की इसकी सुगंध ।

जिन आत्माओं में जगी धर्मत्व की ज्ञान,
जन-जन ने माना उन महात्माओं को अपनी शान ।

आत्मज्ञान का हुआ बोध,
इस भूमी पे अवतरीत हुए, ‘महात्मा बुध्द’ ।

Saturday, 3 December 2016

सोच समय की (Soch Samay Ki) - P.S.

पुरानी डायरी से :
🕘 सोच समय की🕒

👉👂  दो कदम आगे जाने को सोचा,             
क्रमबद्ध मुश्किल आने को आया

पर किसी ने  ना पुछा, ना समझा

सब ने सोचा तेज है बच्चा ।


'सब ने सोचा...तेज है बच्चा'

हमने भी यही सोचने की गुस्ताखी की,

समय ने ना कभी दुबारा लोटने को मौका दी ।

पर अब हमने भी ठान ली है ये गुस्ताखी करने की,


Monday, 28 November 2016

मुलाकात (A Conversation) - by P.S.

।।  मुलाकात  ।।
तेरे हुस्न का बाज़ार है,
तू ही मेरा मज़ार है।
घूमने को पूरा संसार है,
अब तू ही इस संसार का बहार है।

तेरे रूप का क़हर है,
सिर्फ एक बार का दीदार है।
मेरा एक पुकार है,
महफिल का गुहार है,
तेरी सुरीली स्वर,सुनने का इंतजार है।।


Thursday, 24 November 2016

प्रकृति का इंसान | PRAKASH SAH

🌳👫  प्रकृति का इंसान  👫🌳

संस्कृतियाँ, परंपराएँ, आदर-सम्मान

इन सब में समा जाते हैं इंसान।

परिस्थितियाँ, परेशानियाँ, दुख-दर्द

इन भावनाओं को कभी ज़ाहिर नहीं करते हैं मर्द।

क्या चाहते हैं इंसान, क्या चाहते हैं ये मर्द?

कब मिलेगा जीने को बस दो घूँट का पल?

इन्हीं सवालों में, पारिवारिक जीवन में

फँस जाते हैं हम इंसान ।

ब्रह्मचर्य जीवन जीने का ईमान

जल्दी कोई ना चाहता है इंसान ।

क्या होगा इस संसार का?

ना जाने कब समझेगा समाज?

दूसरों को मदद करके ही, इंसान बनते हैं महान 

इंसान बनते हैं महान, इंसान बनते हैं महान...


Thursday, 10 November 2016

UNPREDICTABLE ANGRY BOY: Kya Huaa??

UNPREDICTABLE ANGRY BOY: Kya Huaa??

क्या हुआ ? (What Happened ?) - by P.S.

?ʢ क्या हुआ ?ʢ

तू फूल है तो क्या हुआ,

मैं भी कोई नाचीज़ ना हुँ

काँटा बन कर चूभ जाउँगा,

तुम आहे भरते रह जाना



तू धूप है तो क्या हुआ,

मैं भी कोई नाचीज ना हूँ

धूल बन कर उड़ जाउँगा,

तुम धूँधली-धूँधली रौशनी फैलाते रह जाना