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Monday, 10 December 2018

भय (Bhay) -prakash sah

मनुष्य या कोई भी अन्य जीव इस संसार के जीवनचक्र में जब प्रवेश करता है तो स्वतः उसमें भय का भाव रहता है....शिशु अवस्था में उसे अपनी माता से बिछड़ने का भय रहता है; जब जीवन के प्रत्येक आवश्यक पड़ाव पर असफलता प्राप्त होता है तब हमारे अंदर भय का आगमन होता है.....यह धीरे-धीरे हमारे जीवन के साथ बढ़ने लगता है और भय का विभिन्न कारण भी। अगर भय को नियंत्रित करने की कला सीख ले तो लक्ष्य प्राप्ति में हम सहजता महसूस करते हैं। इस कला को बालावस्था में नहीं सीखा जा सकता....इसे हम जीवन के अनुभवों से सीखते हैं।

Bhay (भय) - Unpredictable Angry boy www.prkshsah2011.blogspot.in


।। भय ।।


व्यय मत कर भय, काल फिर भर जाएगा
संशय मन का साया है, मृत देह संग जाएगा


असत्य का पूरक भय, जिह्वा का लड़खड़ाना लय
संकेत सूचक इशारा है, मन का घबराना तय


काला रंग को माने भय, अंतर्मन का परिचय अंधकारमय
स्मरण श्याम रंग कृष्ण का, प्रायः धर्मयुद्ध का सारथी हम में
©prakash sah

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