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Tuesday, 16 October 2018

हर कोई मौन का नाटक नहीं करता (Har koi Maun ka natak nahi karta) - ps


बस...! इतना कहूँगा बेवक़्त था तुम्हारा मौन होना.., फिर भी तुम्हें सुन लेता हूँ - हर वक़्त। मैं अधिक नहीं कहूँगा जिससे की कि मेरी कुछ अनकही बातें इंधन बनके दीपक को प्रज्वलित करते रहे....लम्बे अरसे तक।

हर कोई मौन का नाटक नहीं करता (Maun) - ps prkshsah2011.blogspot.in


।। हर कोई मौन का नाटक नहीं करता ।।


कोई फूलों से पूछे, उसका हाल कौन लेने है आता

कोई बारिश से पूछे, उसमें कौन-कौन है भीगता

दर पर आया हर फकीर, ढ़ोंगी नही होता

हर कोई मौन का नाटक नही करता


-~-

बालों से रिसते पानी के बूंदें, इतने जिद्दी क्यों होते

आकाश में लटके तारें, इतने दूर क्यों होते

कोई अजनबी, पराया से अपना बन जाता

हर कोई मौन का नाटक नही करता

-~-

पलकों के नयनों में, सपनें कौन भर जाता

सीपों के मुँह में, मोती कौन रख जाता

अपनो से मुँह मोड़, कैसे कोई हमें छोड़ जाता

हर कोई मौन का नाटक नही करता

©PS

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