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Tuesday, 16 October 2018

हर कोई मौन का नाटक नहीं करता (Har koi Maun ka natak nahi karta) - ps


बस...! इतना कहूँगा बेवक़्त था तुम्हारा मौन होना.., फिर भी तुम्हें सुन लेता हूँ - हर वक़्त। मैं अधिक नहीं कहूँगा जिससे की कि मेरी कुछ अनकही बातें इंधन बनके दीपक को प्रज्वलित करते रहे....लम्बे अरसे तक।

हर कोई मौन का नाटक नहीं करता (Maun) - ps prkshsah2011.blogspot.in


।। हर कोई मौन का नाटक नहीं करता ।।


कोई फूलों से पूछे, उसका हाल कौन लेने है आता

कोई बारिश से पूछे, उसमें कौन-कौन है भीगता

दर पर आया हर फकीर, ढ़ोंगी नही होता

हर कोई मौन का नाटक नही करता


-~-

बालों से रिसते पानी के बूंदें, इतने जिद्दी क्यों होते

आकाश में लटके तारें, इतने दूर क्यों होते

कोई अजनबी, पराया से अपना बन जाता

हर कोई मौन का नाटक नही करता

-~-

पलकों के नयनों में, सपनें कौन भर जाता

सीपों के मुँह में, मोती कौन रख जाता

अपनो से मुँह मोड़, कैसे कोई हमें छोड़ जाता

हर कोई मौन का नाटक नही करता

©PS

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20 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना

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    1. धन्यवाद!अभिलाषा जी।

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  2. दर पर आया हर फकीर, ढ़ोंगी नही होता
    हर कोई मौन का नाटक नही करता
    बहुत ही सुंदर मौलिक भाव प्रिय प्रकाश जी | रचना बहुत मर्मस्पर्शी प्रश्न कर रही है | अच्छा लिख रहे हैं आप | मेरी शुभकामनायें स्वीकार हों | सस्नेह --

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    1. संतोष की अनुभूति हुई आपकी प्रशंसा और प्रोत्साहन से। आभार।

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  3. खूबसूरत लेखन अपने आप ताजगी लिए , हार्दिक शुभकामनाएं . लिखते रहिए . सस्नेह .

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    1. प्रोत्साहन और स्नेह के लिए धन्यवाद।

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  4. बेहतरीन रचना

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    1. धन्यवाद, अनराधा जी।

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  5. सुन्दर सृजन. ज़िंदगी के पेचीदा बिषय अपनी जटिलताओं के जाल में हमें उलझाये रखते हैं और हम दुश्वारियों को पार करते हुए आगे बढ़ते रहते हैं.
    बधाई एवम् शुभकामनाएं. लिखते रहिये.

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    1. धन्यवाद भईया। मैं भी आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हूँ।

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  6. बेहद मर्मस्पर्शी रचना प्रकाश जी।
    उलझे सुलझे प्रश्न और असंतोष,असंतुष्टि में लिपटे उत्तर का ही नाम तो जीवन है। जरूरत है सकरात्मकता की लौ जगाये रखने की फिर रास्ता साफ नज़र आता है।

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    1. धन्यवाद, श्वेता दी।
      आपने बहुत हद तक मेरी भावनाओं को छू लिया। और मार्गदर्शन भी किया।

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  7. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/10/92-93.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. मेरी रचना और भाव को उचित स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, राकेश जी।

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  8. मौन के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है, अकारण कुछ नहीं
    बहुत सुन्दर रचना

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  9. वाह अनुपम,
    विसंगतियों से भरे संसार में अपवाद स्वरूप कई आश्चर्य होते हैंं ।
    बहुत सहज सुंदर प्रस्तुति

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    Replies
    1. कुसुम जी, बहुत-बहुत आभार

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