तुम्हारे इस शहर में कब तक अपने वजूद के जद्दोजहद में फंसा रहूँगा
एक दशक बीत जाने के बाद भी कब तक मैं यहाँ अंजान बना रहूँगा
देखते ही देखते इस शहर के कई बागों में हजारों नये फूल खिल गये
ना जाने मुझे अपने बाग के लिए और कितने बसंत तक इंतज़ार करता रहना पड़ेगा
05022022
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