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Sunday, 29 December 2019

‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा होगा.................-prakash sah


CAB का लोकसभा और राज्यसभा से बहुमत से पास होना... और फिर पूरे देश में इस पूरे दिसम्बर में पूरी शक्ति के साथ CAB का CAA तक होना और उसके बाद तक भी लगातार इसके विरोध और समर्थन में प्रदर्शन और रैलियों का निकलना...मानो जैसे कि इस दिसम्बर महीने की तरह यह वर्ष भी अंतिम वर्ष है भारत के लिए।
कौन कितना समझा...कौन कितने बहकावे में आएं....कौन कितना विरोध में हैं....कौन कितना समर्थन में......, इन सब का जवाब कुछ दिनों में कुम्हार भारत दे देगा......जो सदियों से देता आ भी रहा है, प्रत्यक्ष है।

कुम्हार भारत फिर खड़ा होगा ( Kumhaar Bharat Fir Khada Hoga ) - prakash sah - Unpredictable Angry Boy -  www.prkshsah2011.blogspot.com


‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा होगा

कच्ची मिट्टी, पक्की मिट्टी
कुम्हार को हैं दोनो प्यारे
फ़र्क किसी में वो न करता
एक उसे राशन देती
एक उसे मिठी नींद सुलाती

एक है इश्वर, एक है अल्लाह
इंसान को हैं न दोनो प्यारे
फ़र्क हर वो चीज़ में करता
कभी वस्त्र तो कभी रंग
खाना-पीना इसने बांटा

भारत को जिसने सुना, जिसने देखा
एक में दंगा का भ्रम पाया
एक में विश्व परिवार का सच पाया
फ़र्क का साज़िश जिसने किया
देखो ‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा हुआ...

                          देखो ‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा हुआ…
                          देखो ‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा हुआ…
                                                         -prakash sah


Read Also :  👇
1. ये तुम्हारा समर नहीं, ‘अगर-मगर’ वाला भ्रम है.......prakash sah
2. नहीं नहीं मैं कानून हुआ............-prakash sah


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Monday, 23 December 2019

नहीं नहीं मैं कानून हुआ !!!............prakash sah

नहीं नहीं मैं कानून हुआ ( Nahi Nahi Main Kanoon Hua ) - prakash sah - Unpredictable Angry Boy -  www.prkshsah2011.blogspot.com

नहीं नहीं मैं कानून हुआ !!!
          सुनिए इसे मेरी आवाज़ में..... 👇👇


मत मत के मतदान से
मैदान में आया नया मेहमान
हाँ हाँ करके टोपीधारी
करा न्यायालय का पोथी भारी

नहीं नहीं मैं कानून  हुआ
तोड़ मरोड़ कर पेश हुआ
नेताओं के साज़िश में
कर ना पाया कभी भला

भय भय में भयावह
हवा बही है चारो ओर
इसको तोड़ो इसको फोड़ो
आग लगी है चारो ओर

चल चला चल हल्लाबोल
कोई करे अगर रोक टोक
संविधान है खतरे में
ये तू ज़ोर-ज़ोर से बोल-बोल
          -प्रकाश साह


Nahi Nahi Mai Kanoon Hua1 - Prakash Sah - UAB - www.prkshsah2011.blogspot.com  Nahi Nahi Mai Kanoon Hua2 - Prakash Sah - UAB - www.prkshsah2011.blogspot.com

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Wednesday, 18 December 2019

ये तुम्हारा समर नहीं, ‘अगर-मगर’ वाला भ्रम है.......prakash sah


#CAB ये अंग्रेजी के तीन अक्षरों को देखकर मुझे सबसे पहले इतना ही समझ आया कि जो पीड़ित हैं वो Cab लेकर भारत आ जाएं उनका ख़्याल भारत रखेगा। और जो घुसपैठिए हैं वो यही Cab लेकर वापस भारत से चले जाएं वर्ना भारतीय सरकार आपकी विदाई के लिए प्रोपर समारोह कर देगी।

हमसब जानते है कि अगर आपके पास ज्ञान अर्जित है तो आप सभी परेशानियों का हल स्वतः ढूँढ लेते हैं। पर मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारे देश के कुछ विश्वविद्यालयों के छात्र तात्कालिक विवाद (जो मुझे लगता है कि यह विवाद ही नहीं है) का समाधान नहींसिर्फ विरोध करना चाहते हैं। जिससे की देश में अराजकता की स्थिति बनी रहे। 
ये छात्र अभी राजनीति के कठपुतली मात्र हैं....जो संवाद करना नहीं जानते। ये भविष्य के भय को दिखाना चाह रहें...लेकिन वर्तमान के पीड़ित को नहीं देखना चाहते। ये छात्र उन षड्यंत्रकारी आत्माओं (राजनीतिज्ञ) के लिए शरीर का काम कर रहे हैं। और उन राजनीतिज्ञों को इस विरोध के दौरान इन छात्रों के हालात से भी मतलब नहीं है।

मुझे लग रहा है कि ये छात्र नहीं समझ पाएं कि किसी ख़ास समुदाय के हक के लिए उनका यह समर (युद्ध) नहीं है.....यह तो उन राजनीतिज्ञ द्वारा फैलाया गया अगर-मगर’ वाला भ्रम है। जो वे इस भ्रम के जाल में भ्रमित हो गये हैं।

आज की मेरी यह एक छोटी रचना उन छात्रों पर व्यंग्य है...जो भ्रमित हैं। मैंने इसमें उनकी तात्कालिक सोच को लिखा है...अपनी व्यंग्यात्मक विचार के साथ।


चलिए अब पढ़िए आज की मेरी रचना को....


ये तुम्हारा समर नहीं, ‘अगर-मगर’ वाला भ्रम है.......


ye tumhara samar nahi agar magar wala bhram hai - prakash sah - Unpredictable Angry Boy -  www.prkshsah2011.blogspot.com

                                 (1)
आँख मूँद ये विवाद देखो

संवाद नहींसिर्फ विरोध की आवाज़ सुनो।

पीड़ित को नहींप्रताड़ित होने का भय जानो

कानून लायक है या नहीं????? ये नहीं...

मेरी भीड़ देखो!!

भीड़ में सिर्फ छात्र हैं...,यही तुम मानो!

और कुछ नहीं

आँख मूँद ये विवाद देखो।


                                 (2)
शरीर है किसी और काआत्मा है किसी और का

कठपुतली बन गया ज्ञान...,अभी मत तू ये जान!!

चाहे बन जाए देश श्मशान।

ओ...ओह!! अल्हड़ है अभी तुम्हारा ज्ञान...

ये तुम्हारा समर नहीं, ‘अगर-मगर’ वाला भ्रम है।

©prakash sah


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Sunday, 15 December 2019

ई ज़माना बा बड़ा ख़राब | भोजपुरी कविता | PRAKASH SAH


मेरा मानना है कि प्रत्येक आँखों में एक अलग युग होता है यानी कि सभी का देखने का नजरिया अलग होता है। किसी के लिए जो दर्द है वही किसी के लिए सुकून का वज़ह। बस सिर्फ इनके गुणों में अंतर होता है। यही अंतर हमसब को वर्तमान में अलग-अलग युगों का चश्मा लगाने का मौका देता है।

चली पढ़ीं अब #आपन भाषा #भोजपुरी में एगो हमार नया रचना......

ई ज़माना बा बड़ा ख़राब | E Zamana Ba Bada Kharab  | Prakash sah | UNPREDICTABLE ANGRY BOY |  www.prkshsah2011.blogspot.com


ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
-प्रकाश साह


ई ज़माना बा बड़ा ख़राब

एमे बड़ा बा दबाव
तू जेतना बोलबअ
ओतना ही बोलेम,
ज्यादा बोले में बा
काम ख़राब तमाम

ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...2

एमे बड़ा बा दाँवपेंच
चाणक्या भी बानी फेल,
कलयुग के काल में
सभन के बा
ईमान ख़राब तमाम

ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...2

बुजुर्ग कहके गईनी
झूकला में ना बा
कौनो शरम, लेकिन
अब तू जेतना झूकबअ
ओतना तोड़ल जईबअ

ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
                         ©prakashsah
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Monday, 2 December 2019

स्थिति में कोई बदलाव नहीं.............-prakash sah


मारे समाज में प्रत्येक दिन कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ घटती है पर इनमें से कुछ घटनानाएँ देश को बिल्कुल झकझोर देती है। इसका उदाहरण हमें बिते वर्षों में कई बार देखनों को मिला है।

2012 के निर्भया कांड से देश का कौन-सा व्यक्ति प्रभावित नहीं हुआ होगा। सबने अपने आक्रोश का प्रदर्शन किया था। हमारे शहरों की सड़कें इसकी साक्षी हैं।
पर इस 27 नबम्बर की घटना से मुझे पक्का विश्वास हो गया कि 2012 से लेकर आज तक की स्थिति में ज़रा सा भी बदलाव नहीं आया है...अंतर बिल्कुल शून्य है.......स्थिति जस की तस है।

इन सभी घटनाओं के बाद की स्थिति को देखकर मुझे इतना ही समझ आया है कि हम जितना जल्दी स्वयं को धधका लेते हैं उतना ही जल्दी स्वयं को बुझा भी लेते हैं....जैसे कुछ हुआ ही ना हो.........और फिर हम किसी दूसरी खबर की ओर बढ़ जाते हैं।

स्थिति में कोई बदलाव नहीं - STHITI MEIN KOI BADLAO NAHI - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY -  www.prkshsah2011.blogspot.in

मैं माफी के साथ एक बात कहना चाहूँगा कि हम जितना किसी एक घटना पर आक्रोशित होते हैं उतना ही कोई और या ऐसी ही प्रत्येक घटना पर आक्रोशित नहीं होते हैं। गिने-चुने घटनाओं पर ही हम अपने गुस्से का प्रदर्शन करते हैं। इसका सीधा - साधा एक ही अर्थ निकलता है हमे भेड़ चाल चलने की आदत हो गई है।
              अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग बिल्कुल चुपचाप बैठे रहते हैं चाहे घटना कितनी भी बुरी क्यों ना हो। लेकिन यही लोग जैसे ही देखते हैं कि भीड़ बढ़ चुकी है तब अपनी प्रतिक्रिया व राय देते हैं......या फिर किसी कारणवश अगर भीड़ नहीं बढ़ी तब सब चुपचाप ही बैठे रह जाते हैं....जैसे वो घटना घटी ही नहीं है।

हमें अपनी सोच बदलनी होगी....हमें प्रत्येक घटना पर अपनी जोरदार प्रतिक्रिया देनी होगी चाहे वो घटना छोटी हो या बड़ी....चाहे छोटे कस्बे की हो या किसी रिहायशी इलाके की.....चाहे किसी छोटे शहर की हो या किसी मेट्रोपोलिटन शहर की। भीड़ को देखकर अपना विचार तय नहीं करना होगा।
जिस दिन प्रत्येक लोग अपने बुद्धिविवेक और संस्कार से तय करने लगेंगे कि यह घटना हमारे समाज के सोच से बिल्कुल विपरीत एवं संक्रमित है तब...जो 2012 से लेकर अभी तक के स्थिति में अंतर शुन्य है....उसमें कुछ बदलाव देखने को मिले।
और आज मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि इस बार बदलाव आने तक हमसब स्वयं को बुझने नहीं देंगे।

स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार पर एक ऐसी ही घटना 2017 में टेलीविज़न न्यूज़ के माध्यम से देखने को मिला था। 2017 के नव वर्ष के जश्न पर दिल्ली और बेंगलुरू में कुछ युवायों ने स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया था। यह घटना भी बिल्कुल दुर्भाग्यपूर्ण व असहनीय था.....एवं अक्षम्य था।
इस घटना को मैंने अपनी एक रचना में व्यक्त किया था......मैं चाहूँगा आप एक बार जरूर पढें।
शायद आपलोग को पता चले हम कितना स्थिर हैं।



....
आधुनिकता के नाम पर तर्क रखने वालों
तेरी छोटी बुद्धि का तर्क ‘कुतर्क’ है।
तू अपनी हरकतें संभाल ले 
या फिर अपनी बरकतें गँवा दे।
तेरी पीढ़ी के साथ हम भी उगे हैं...
हम चौक-चौराहों पे मोमबत्ती नहीं,
मन में सम्मान की लौ जला कर चले हैं

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