CAB का लोकसभा और राज्यसभा से बहुमत से पास होना... और फिर पूरे देश में इस पूरे दिसम्बर में पूरी शक्ति के साथ CAB का CAA तक होना और उसके बाद तक भी लगातार इसके विरोध और समर्थन में प्रदर्शन और रैलियों का निकलना...मानो जैसे कि इस दिसम्बर महीने की तरह यह वर्ष भी अंतिम वर्ष है भारत के लिए।
कौन कितना समझा...कौन कितने बहकावे में आएं....कौन कितना विरोध में हैं....कौन कितना समर्थन में......, इन सब का जवाब कुछ दिनों में ‘कुम्हार भारत’ दे देगा......जो सदियों से देता आ भी रहा है, प्रत्यक्ष है।
‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा होगा
कच्ची मिट्टी, पक्की मिट्टी
कुम्हार को हैं दोनो प्यारे
फ़र्क किसी में वो न करता
एक उसे राशन देती
एक उसे मिठी नींद सुलाती
एक है इश्वर, एक है अल्लाह
इंसान को हैं न दोनो प्यारे
फ़र्क हर वो चीज़ में करता
कभी वस्त्र तो कभी रंग
खाना-पीना इसने बांटा
भारत को जिसने सुना, जिसने देखा
एक में दंगा का भ्रम पाया
एक में विश्व परिवार का सच पाया
फ़र्क का साज़िश जिसने किया
देखो ‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा हुआ...
देखो ‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा हुआ…
देखो ‘कुम्हार भारत’ फिर खड़ा हुआ…
-prakash sah
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